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दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निर्माण और बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उच्चतम न्यायालय

ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निर्माण और बिक्री के मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात के संकेत दिए कि दीपावली के मौके पर अस्थायी रुप से ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल पर लगी रोक हटाई जा सकती है।

सुनवाई के दौरान शुक्रवार काे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि पटाखों के निर्माण की अनुमति केवल लाइसेंस धारक व्यापारियों को ही मिलेगी। 26 सितंबर को कोर्ट ने दीपावली के मौके पर दिल्ली में ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दे दी थी। हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था कि इन ग्रीन पटाखों को दिल्ली और उससे सटे एनसीआर के इलाकों में नहीं बेचा जा सकता है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि इस मामले में सभी पक्षों से मशविरा कर एक संतुलित नीति बनाएं। कोर्ट ने कहा था कि हमने पहले पटाखों पर लगाया था, लेकिन उस पर ठीक से अमल नहीं किया जा सका। 12 सितंबर को उच्चतम न्यायालय

ने कहा है कि दिल्ली-एनसीआर तक ही रोक क्यों हो, पूरे देश में क्यों नहीं। कोर्ट ने कहा था कि अगर दिल्ली-एनसीआर के शहरों को स्वच्छ हवा का हक है, तो दूसरे शहरों के लोगों को क्यों नहीं। उन्होंने कहा था कि प्रदूषण से निपटने के लिए एक ही नीति पूरे देश के लिए होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अनिवार्य हिस्सा है। इस अधिकार में प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी शामिल है।

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर रोक जारी रखते हुए कोर्ट ने 6 मई को यूपी, राजस्थान और हरियाणा को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगी रोक को लागू करे। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उसके आदेश को लागू नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्रवाई शुरु की जाएगी। इसके पहले 3 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय

ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूरी तरह से लगाए प्रतिबंध को सही ठहराया था। उच्चतम न्यायालय

ने कहा कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से ना के बराबर प्रदूषण होता है, तब तक बैन के पुराने आदेश में बदलाव का कोई औचित्य नजर नहीं आता।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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