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सुप्रीम कोर्ट ने 84 महिला सैन्य अधिकारियों के स्थायी कमीशन पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 25 सितंबर (Udaipur Kiran News) । केंद्र सरकार ने कहा है कि वो शार्ट सर्विस कमीशन में महिला सैन्य अधिकारियों को उच्चतम न्यायालय

के आदेश के मुताबिक स्थायी कमीशन देने की नीति अपना रही है। केंद्र सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष ये बातें कही। केंद्र की इस सूचना के बाद कोर्ट ने 84 महिला सैन्य अधिकारियों की स्थायी कमीशन की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान जब एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के मामले में केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय

के फैसलों का पालन कर रही है। तब कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि सेना ने स्थायी कमीशन पर अपने आप को ठीक कर लिया है। तब भाटी ने कहा कि कोई भी प्रक्रिया हर व्यक्ति को खुश नहीं कर सकती है और किसी न किसी का विरोध तो रहेगा ही। भाटी ने कहा कि सेना को जवान बनाये रखने के लिए कुछ फैसले किए जाते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि महिलाओं के साथ भेदभाव होता है।

24 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था वो शार्ट सर्विस कमीशन में सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन देते समय महिलाओं और पुरुषों में कोई भेदभाव नहीं करती है। सुनवाई के दौरान ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि इस संबंध में केंद्र सरकार और सेना स्थायी कमीशन देते समय इसी नीति का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कुछ महिला सैन्य अधिकारियों की याचिका पर जवाब देते हुए कहा कि इन अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिंग निरपेक्ष था और इसमें कोई भेदभाव नहीं बरता गया। तब कोर्ट ने कहा कि महिला सैन्य अधिकारियों को ये नहीं लगना चाहिए कि उनकी स्थायी कमीशन पर विचार नहीं किया जाएगा। तब भाटी ने कहा कि ये एक छवि बनायी गयी है, लेकिन 1991 से लेकर अब तक के आंकड़े बताते हैं कि महिला सैन्य अधिकारियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया।

उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी 2020 को सेना में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया था। उच्चतम न्यायालय

ने कहा था कि महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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