नई दिल्ली, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा 16 साल की मुस्लिम युवती की शादी को कानूनी तौर पर वैध करार देने के फैसले को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है।
दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी जिसमें उच्च न्यायालय ने 16 साल की मुस्लिम युवती की शादी को कानूनी तौर पर वैध करार दिया था। उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के आधार पर शादी को वैध करार दिया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना था कि यह फैसला बाल विवाह निषेध कानून 2006 के विपरीत है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के आधार पर इस शादी को वैध करार देते हुए एक मुस्लिम जोड़े को सुरक्षा प्रदान की थी।
दरअसल, पॉक्सो एक्ट के तहत 18 साल के कम उम्र की लड़की से शारीरिक संबंध बनाना अपराध है, भले ही वह लड़की सहमति से बनाया गया हो। शादी से जुड़े अधिकतर कानूनों में भी लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष रखी गई है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ में यौवन अवस्था (puberty) हासिल कर चुकी लड़की के विवाह को सही माना गया है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
