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सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म उदयपुर फाइल्स पर अंतरिम राेक 23 जुलाई तक बढ़ाई

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स फिल्म की रिलीज पर लगी अंतरिम रोक को 23 जुलाई तक बढ़ा दिया है। साेमवार काे केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि फिल्म में छह बदलाव किए गए हैं। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र के फैसले पर दो दिनों में आपत्ति दर्ज कराने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई को फिल्म पर लगी रोक को तत्काल हटाने से इनकार कर दिया था। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि इस मामले पर केंद्र सरकार को फैसला कर लेने दीजिए, उसके बाद सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है, बल्कि याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वो अपनी आपत्तियां केंद्र सरकार के समक्ष दर्ज कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को ये अधिकार है कि वो फिल्म के प्रदर्शन को लेकर अंतरिम फैसला कर सके। कोर्ट ने कहा था कि कमेटी आज ही बैठक करनेवाली है, ऐसे में कमेटी के फैसले को आ जाने दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया लाल मर्डर केस के आरोपी मोहम्मद जावेद को भी कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने की अनुमति दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 10 जुलाई को फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को रिलीज करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वो फिल्म को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष 14 जुलाई तक अपनी आपत्ति दर्ज कराएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की आपत्ति मिलने के बाद उस पर एक हफ्ते में फैसला करें। हाई कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार के फैसला आने तक फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक जारी रहेगी।

हाई कोर्ट में याचिका जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने दायर किया था। जमीयत की ओर से वकील फुजैल अहमद अययुबी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गई है। फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है। याचिका में जमीयत ने आरोप लगाया था कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है। याचिका में कहा गया था कि फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के विरुद्ध जहर उगला गया है।

फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र जारी होने के बाद 11 जुलाई को रिलीज किया जाना था। याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जॉनी फायर फॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक्स कॉर्प्स को पक्षकार बनाया गया है, जो फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं। याचिका में कहा गया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए फिल्म में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिनका इस्लाम, मुसलमानों और देवबंद से कोई लेना-देना नहीं है। ट्रेलर से साफ झलकता है कि यह फिल्म मुस्लिम-विरोधी भावनाओं से प्रेरित है।

फिल्म का 2 मिनट 53 सेकंड का ट्रेलर जारी किया गया था। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई एक घटना को आधार बनाया गया है। याचिका में कहा गया था कि ट्रेलर से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि फिल्म का मकसद एक विशेष धार्मिक समुदाय को नकारात्मक और पक्षपाती रूप में पेश करना है, जो उस समुदाय के लोगों के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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