
नई दिल्ली, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) । उच्चतम न्यायालय ने 2006 में जोधपुर के व्यवसायी सुरेश शर्मा की हत्या के मामले में तीन आरोपितों को बरी करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है। जस्टिस संदीप मेहता की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। राजस्थान सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अंतिम बार साथ देखे जाने के गवाह देर से सामने आए और उनकी गवाही भरोसेमंद नहीं मानी गई। बरामद किए गए दुपट्टे पर खून के धब्बे तो थे, लेकिन उसका ब्लड ग्रुप मृतक से मैच नहीं हुआ। कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी के तहत बिना किसी प्रमाण पत्र के पेश किया गया था, इसलिए वे तकनीकी रुप से मान्य नहीं थे।
दरअसल 22 जनवरी 2006 को सुरेश शर्मा लापता हो गए थे। 23 जनवरी 2006 को उनका शव मिला जिसमें गला घोंटने और चोटों के निशान थे। ट्रायल कोर्ट ने 10 जनवरी 2008 को तीनों आरोपितों को हत्या और साजिश रचने का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 14 दिसंबर 2011 को राजस्थान उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों की कमी का हवाला देते हुए तीनों को बरी करने का आदेश दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
