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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस प्रशांत कुमार के खिलाफ दिए गए अपने ही आदेश को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रशांत कुमार के खिलाफ दिए गए अपने ही आदेश को रद्द कर दिया है। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने जस्टिस प्रशांत कुमार के आपराधिक मामलों की सुनवाई करने पर रोक लगा दी थी और उन्हें किसी वरिष्ठ जज की बेंच में बैठने के लिए कहा था। इसके खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 13 जजों ने चीफ जस्टिस बीआर गवई को पत्र लिखा, जिसके बाद चीफ जस्टिस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया था।

जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि हमें चीफ जस्टिस की ओर से पत्र मिला है, जिसमें पहले के जारी किए गए आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया है। जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने पुराने आदेश को रद्द करते हुए पूरा मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भेज दिया। जस्टिस पारदीवाला की बेंच ने कहा कि हमारा इरादा संबंधित जज को किसी भी तरह की शर्मिंदगी का एहसास करना नहीं था। हमारा एकमात्र उद्देश्य स्पष्ट रुप से त्रुटिपूर्ण आदेश को सही करना था।

एक मामले की सुनवाई के दौरान 4 अगस्त को उच्चतम न्यायालय की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रशांत कुमार के एक फैसले पर सवाल उठाए थे। बेंच ने उनके आदेश को सबसे खराब करार दिया था। इस बेंच ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को ये निर्देश दिया था कि जस्टिस प्रशांत कुमार को सुनवाई के लिए आपराधिक मामले न दिए जाएं। इस बेंच ने ये भी आदेश दिया था कि उनको किसी वरिष्ठ जज के साथ बेंच में रखा जाए।

दरअसल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच के समक्ष लिस्ट एक मामले में दीवानी प्रकृति के एक व्यापारिक लेनदेन के मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से जारी समन को निरस्त करने की मांग की गई थी। जस्टिस प्रशांत कुमार ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के समन को निरस्त करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मामला उच्चतम न्यायालय आया, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने जस्टिस प्रशांत कुमार के खिलाफ प्रतिकूल आदेश जारी किया था।

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 13 जजों ने अपने हस्ताक्षर से चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और जस्टिस प्रशांत कुमार का समर्थन किया। पत्र में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने 4 अगस्त का आदेश बिना किसी नोटिस जारी किए बिना दिया।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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