RAJASTHAN

राजस्थान में पहली बार दुर्लभ लिवर बीमारी का सफल इलाज : दुनिया में अब तक बेहद कम केस रिपोर्ट

राजस्थान में पहली बार दुर्लभ लिवर बीमारी का सफल इलाज : दुनिया में अब तक बेहद कम केस रिपोर्ट

जयपुर, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) । इटर्नल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक दिन के नवजात शिशु की जान बचाने में बड़ी सफलता हासिल की है। यह बच्चा कॉनजेनिटल हेपेटिक आर्टेरियोवीनस मालफॉर्मेशन (एचएवीएम) नामक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात बीमारी से पीड़ित था। यह राजस्थान का पहला सफल इलाज है। दुनियाभर में अब तक केवल 15–20 और भारत में 2–3 केस ही रिपोर्ट हुए हैं।

डॉ. अनुराग गुप्ता मुख्य इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने डॉ. ऋचा वैष्णव (गायनोकोलॉजी एवं ऑब्सटेट्रिक्स), डॉ. राजकुमार गोयल (पीडियाट्रिक्स एवं नियोनेटोलॉजी) और अन्य समर्पित टीम सदस्यों के साथ मिलकर इस नैदानिक सफलता की कहानी को बुना — यह टीमवर्क और समन्वित देखभाल का उत्कृष्ट उदाहरण है।

चिकित्सकाें के अनुसार गर्भावस्था के 32वें सप्ताह में सोनोग्राफी के दौरान बच्चे के लिवर में नसों का एक असामान्य गुच्छा दिखाई दिया। इस कारण खून सीधे लिवर से हृदय की ओर जाने लगा, जिससे हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ा और हार्ट फेलियर की स्थिति बन गई। डॉ. ऋचा वैष्णव ने इस असामान्य स्थिति को गर्भावस्था के दौरान ही पहचाना और फेटल मॉनिटरिंग जारी रखी। जब हृदय पर दबाव बढ़ता दिखा, तो उन्होंने समय से पहले डिलीवरी करवाने का निर्णय लिया।

डिलीवरी के बाद नवजात को डॉ. राजकुमार गोयल की देखरेख में एनआईसीयू में रखा गया। मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने 2डी ईको और क्लिनिकल मॉनिटरिंग से स्थिति का आकलन किया। चूंकि बच्चे की हालत बड़ी एवी मालफॉर्मेशन के कारण सुधार नहीं रही थी, इसलिए टीम ने डॉ. अनुराग गुप्ता (कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) के मार्गदर्शन में इंटरवेंशन करने का निर्णय लिया।

डॉ. अनुराग गुप्ता और उनकी टीम ने बेहद पतली जांघ की नस के माध्यम से कैथेटर को लिवर तक पहुंचाया और उस असामान्य नसों के गुच्छे तक पहुँचे, जो लगभग हृदय के आकार से भी बड़ा था। उन्होंने सुरक्षित तरीके से लगभग 70% असामान्य रक्त वाहिकाओं को मेडिकल-ग्रेड ग्लू से बंद किया, जिससे हृदय की विफलता पूरी तरह ठीक हो गई। शेष हिस्सा दवाओं से धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा। इस दृष्टिकोण से जोखिम न्यूनतम रखते हुए जीवनरक्षक परिणाम सुनिश्चित हुआ।

प्रोसीजर के बाद नवजात को कुछ दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया और बाद में रूम एयर पर सुरक्षित रूप से शिफ्ट किया गया।

डॉ. अनुराग गुप्ता ने बताया, “इतने छोटे नवजात में यह प्रोसीजर करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। नसें बेहद पतली थीं और ज़रा सी गलती से जान को खतरा हो सकता था। लेकिन सटीक योजना, अत्याधुनिक तकनीक और टीमवर्क से प्रोसीजर पूरी तरह सफल रहा।” डॉ. राजकुमार गोयल और उनकी टीम ने बच्चे की हृदय और लिवर कार्यप्रणाली की लगातार निगरानी की। कुछ ही दिनों में बच्चा रूम एयर पर स्थिर, मां का दूध ले रहा था और सुरक्षित रूप से डिस्चार्ज हो गया।

कॉनजेनिटल हेपेटिक आर्टेरियोवीनस मालफॉर्मेशन बहुत दुर्लभ और जटिल बीमारी है। समय पर पहचान और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के बिना परिणाम अक्सर घातक होते हैं। यह सफलता इटर्नल हॉस्पिटल के मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के समन्वय से ऐसे जटिल और जानलेवा मामलों का सफल समाधान किया जाता है।

मंजू शर्मा (को-चेयरपर्सन) और डॉ. प्राचीश प्रकाश (सीईओ) ने डॉक्टरों की टीम को बधाई देते हुए कहा कि, “यह उपलब्धि इटर्नल हॉस्पिटल की अत्याधुनिक तकनीक, अनुभवी चिकित्सकों और विश्वस्तरीय नवजात देखभाल के प्रति समर्पण को दर्शाती है।”

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(Udaipur Kiran) / राजीव