
प्रयागराज, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय रेलवे ने संरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल के मथुरा-पलवल खंड में कवच प्रणाली के साथ लोको ट्रायल्स सफलतापूर्वक पूरे किए गए। इन परीक्षणों में पीछे की ओर से टक्कर और आमने-सामने की टक्कर के सिमुलेशन शामिल थे, जिन्हें कवच प्रणाली ने सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
यह जानकारी वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बुधवार को दी। उन्होंने बताया कि इस परीक्षण के लिए केरनक्स कवच युक्त लोको 35023 -5 गाजियाबाद तथा एचबीएल कवच युक्त लोको 30234-7 तुगलकाबाद का उपयोग किया गया। उन्होंने बताया कि रियर एंड कोलिजन (पिछली तरफ से टक्कर) के दौरान लोको-1 को होम सिग्नल के आगे खड़ा किया तथा लोको-2 को होम सिग्नल के पीछे ऑटो सिग्नल पर खड़ा किया गया था। फिर लोको-2 में सिग्नल ओवरराइड किया गया और लोको-1 की ओर बढ़ाया गया। कवच प्रणाली से युक्त होने के परिणामस्वरूप लोको-2 में ब्रेक लग गए और यह लोको-1 से लगभग 326 मीटर पीछे रुक गया, जिससे रियर एंड टक्कर से बचाव हुआ।
इसी क्रम में हेड-ऑन कोलीजन (आमने-सामने की टक्कर) परीक्षण के दौरान लोको-1 को होम सिग्नल के आगे खड़ा किया गया तथा फिर कैब बदली गई और लोको को विपरीत दिशा में चलाया गया और दो टैग पढ़ने के बाद दिशा स्थापित की गई और लोको रुक गया। लोको-2 ने एडवांस स्टार्टर को पार करने के बाद ब्लॉक खंड में प्रवेश किया और लोको-1 की ओर बढ़ा। जिसके परिणामस्वरूप लोको-2 ट्रिप मोड में चला गया और ब्रेक लग गए तथा लोको-1 से 5 किमी से अधिक दूरी पर रुक गया, जिससे हेड-ऑन टक्कर को रोका गया।
पीआरओ ने बताया कि इन परीक्षणों के परिणामस्वरूप यह साबित हुआ कि कवच प्रणाली रेलवे सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस प्रणाली के उपयोग से रेलवे यात्रियों की संरक्षा में सुधार होगा और दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। भारतीय रेल कवच प्रणाली को और अधिक विकसित करने और इसे व्यापक रूप से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमें विश्वास है कि यह प्रणाली रेलवे सुरक्षा में एक नए युग की शुरुआत करेगी और हमारे यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
