
मुंबई,18 नवंबर ( हि.स.) । स्तन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना आम मरीजों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। आर्थिक तंगी, इलाज की जटिलताएँ और मानसिक दबाव के कारण सही समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, ऐसे में ठाणे सिविल अस्पताल ने एक बार फिर नागरिकों का विश्वास जीता है और एक 78 वर्षीय महिला के स्तन कैंसर की गांठ को सफलतापूर्वक निकालकर उसकी जान बचाने में बड़ी सफलता हासिल की है।
मैमोग्राफी स्क्रीनिंग वैन में जाँच के दौरान इस बुजुर्ग महिला के स्तन में एक संदिग्ध गांठ पाई गई। उन्हें तुरंत सिविल अस्पताल की ओपीडी में भर्ती कराया गया। इस अचानक निदान से परिवार चिंतित और भयभीत हो गया। शुरुआत में सभी को लगा कि उनकी उम्र के हिसाब से यह बीमारी खतरनाक हो सकती है। हालाँकि, अस्पताल के डॉक्टरों ने परिवार को परामर्श देकर आश्वस्त किया।
बाद में इमेजिंग परीक्षणों और कोर नीडल बायोप्सी से पुष्टि हुई कि उनके बाएँ स्तन में डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (DCIS) है। उम्र को देखते हुए, उपचार को और अधिक सावधानी से करने की आवश्यकता थी।
विभिन्न विषयों की टीम द्वारा विचार-विमर्श के बाद, स्तन संरक्षण सर्जरी (लम्पेक्टोमी) करने का निर्णय लिया गया। यह सर्जरी जिला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलास पवार और अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. धीरज महानगड़े के मार्गदर्शन में की गई।
पेरिएरियोलर चीरा तकनीक का उपयोग करके कैंसरग्रस्त क्षेत्र को सुरक्षित रूप से हटा दिया गया। स्तन ऑन्को-प्लास्टिक सर्जन डॉ. रितिका भंडारी ने बताया कि सुंदरता बनाए रखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी को शामिल किया गया था। इस सर्जरी ने न केवल बुजुर्ग महिला की जान बचाई, बल्कि जनता के लिए उपलब्ध सरकारी स्वास्थ्य सेवा की विश्वसनीयता भी बढ़ाई।
ठाणे सिविल अस्पताल के शल्य चिकित्सक डॉ कैलाश पवार ने बताया कि मैमोग्राफी स्क्रीनिंग वैन शीघ्र निदान को सक्षम बना रही है और ठाणे सिविल अस्पताल में स्तन कैंसर के लिए अत्याधुनिक, सुरक्षित और कुशल शल्य चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा