
—बीएचयू कला संकाय के नवप्रवेशी विद्यार्थियों का दीक्षारंभ कार्यक्रम
वाराणसी,14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कला संकाय का दीक्षारंभ कार्यक्रम 2025-26 मंगलवार अपरान्ह परिसर स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य नवप्रवेशी विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, सांस्कृतिक गतिविधियों और बुनियादी ढाँचे की सुविधाओं से परिचित कराना था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आप उन भाग्यशाली छात्रों में हैं जिन्हें इस प्रतिष्ठित संस्थान में अध्ययन का अवसर मिला है। कुलपति ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का अधिकतम लाभ उठाएँ और स्वयं को “अर्थपूर्ण वैश्विक नागरिक” बनाने का संकल्प लें जो समाज, मानवता और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दें। उन्होंने विद्यार्थियों को सक्रिय शिक्षण का महत्व बताते हुए कहा कि “अच्छी शिक्षा केवल अच्छे शिक्षक से नहीं, बल्कि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों की सहभागिता से संभव होती है। देश में नवप्रवर्तकों और उद्यमियों की प्रासंगिकता अधिक है। हम चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थी केवल नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले भी बनें।
प्रो. चतुर्वेदी ने छात्रों से विविधता को अपनाने और विभिन्न भाषाई, सामाजिक व क्षेत्रीय पृष्ठभूमियों से आने वाले सहपाठियों से मित्रता करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “विश्वविद्यालय जीवन का यह विशेष अवसर है जब आप विभिन्न अनुभवों और दृष्टिकोणों से सीख सकते हैं।” साथ ही उन्होंने कहा कि बीएचयू में बिताया गया समय केवल अकादमिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह व्यक्तिगत विकास, जीवन भर सीखने और राष्ट्रसेवा का माध्यम बने। उन्होंने आंतरिक शिकायत समिति का उल्लेख करते हुए बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को केवल शैक्षणिक ही नहीं बल्कि कक्षा के बाहर भी मजबूत सहयोग प्रणाली प्रदान करता है। इसके पहले कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत छात्रों के भव्य स्वागत के साथ हुई। जिसके पश्चात डॉ. पी.एस. राणा ने संकाय पाठ्यक्रमों, केंद्रों और शैक्षणिक अवसरों पर एक सत्र प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में उपस्थित तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी श्रवण टी आनंद ने मदद माँगने के महत्व को बताया। उन्होंने विद्यार्थियों से किसी भी साइबर अपराध या ऑनलाइन उत्पीड़न की रिपोर्ट आधिकारिक माध्यमों से करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “यदि कुछ मुफ्त है, तो आप उसकी कीमत हैं।” छात्र अधिष्ठता कार्यालय ने छात्र योजनाओं, छात्रवृत्तियों और अनुदानों की जानकारी दी। वहीं प्रो. रोयना सिंह ने एंटी-रैगिंग सेल का परिचय कराया, ताकि परिसर को सुरक्षित और सहयोगात्मक बनाया जा सके। फिल्म ‘पिंक’ से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने न शब्द की शक्ति को एक पूर्ण वाक्य के रूप में प्रस्तुत किया और “रैगिंग को न कहें” का सशक्त संदेश दिया। विद्यार्थियों को कल्याणकारी सेवा प्रकोष्ठ, करियर गाइडेंस एवं ट्रेनिंग प्लेसमेंट सेल, और सीडीसी एवं स्किल डेवलपमेंट सेल के बारे में भी जानकारी दी गई।
पत्रकारिता विभाग से प्रो. अनुराग दवे ने डिजिटल वेल-बींग पर एक सारगर्भित वार्ता प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि हर आविष्कार हमारे जीवन को सरल बनाता है, परंतु वह अपनी चुनौतियाँ को भी साथ लाता है। हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विवेक सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए इन पर चर्चा करना आवश्यक है। संस्कृत विभाग की प्रोफेसर शिल्पा सिंह ने छात्रों को मॉय भारत पोर्टल एवं नमस्ते बीएचयू ऐप जैसी डिजिटल पहलों के बारे में बताया। वहीं हिंदी विभाग के प्रोफेसर प्रभाकर सिंह ने विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक पहलों की जानकारी दी।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
