Jharkhand

संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को होनी चाहिए आत्म गौरव की अनुभूति : डॉ मिश्र

कार्यक्रम की तस्वीर

रांची, 16 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के वरीय प्राध्यापक डॉ शैलेश कुमार मिश्र ने रविवार को कहा कि संस्कृत का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को आत्म गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। डॉ मिश्र डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू), रांची के संस्कृत विभाग में आयोजित नवागत छात्राभिनन्दन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को शास्त्रों के स्वाध्याय में लगे रहना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ मिश्र ने कहा कि अनुशासित विद्यार्थी ही जीवन में सफलता को प्राप्त करते हैं।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रभारी कुलसचिव-सह-संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण विषय, एक पूर्ण ज्ञानपरंपरा और भारतीय संस्कृति का आधार स्तम्भ है। संस्कृत में निहित शास्त्र, व्याकरण, काव्य, वेद, उपनिषद् और दर्शन मानव जीवन के समग्र विकास के पथप्रदर्शक हैं।

मारवाड़ी कालेज के प्राध्यापक एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ राहुल कुमार ने संस्कृत के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्ञान-विज्ञान के सिद्धान्त संस्कृत वाङ्मय में सन्निहित हैं। उन्होंने कहा कि देश और विदेश के विशिष्ट संस्थान संस्कृत के अध्यापन पर बल दे रहे हैं।

बीएनजे कालेज, सिसई के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ पारंगत खलखो ने कहा कि विद्या ही एकमात्र ऐसा धन है जो व्यय करने पर भी बढ़ता है।

विशिष्ट अतिथि अमिताभ कुमार ने इस अवसर पर विद्यार्थियों के पंचलक्षण पर प्रकाश डाला और जीवन में उद्यम के महत्त्व पर विस्तृत चर्चा की।

विभागीय शिक्षक डॉ जगदम्बा प्रसाद ने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए ये सभी अनिवार्य अंग हैं।

अपने स्वागत उद्बोधन में विभागीय छात्रा प्रतिमा चौहान ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परम्परा का आधार है।

कार्यक्रम का संचालन सर्वोत्तमा कुमारी और भोला मिश्र ने किया। अभिनन्दन समारोह में कीर्ति, प्रज्ञा, शिवम, दीपक और गौरव ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सुरेन्द्र कुमार ने अतिथि परिचय का कार्य किया। अनामिका ने एकल गीत प्रस्तुत किया।

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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak