नारनौल, 15 अगस्त (Udaipur Kiran) । जिले के गांव नूनी कलां के राजकीय प्राथमिक पाठशाला में पढ़ने वाला छह साल का छात्र गुरुवार को कक्षा में बंद रह गया। छुट्टी होने पर स्कूल स्टाफ कमरों और गेट का ताला लगाकर अपने घर चला गया। किसी की भी नजर सोते हुए छात्र पर नहीं पड़ी। जब छात्र की आंख खुली तो अंधेरे कमरे में खुद को बंद देख वह रोने लगा।
इसी दौरान करीब दो घंटे बाद वहां से गुजर रहे एक ग्रामीण ने बंद स्कूल से रोने और चिल्लाने की आवाज सुनी तो वह दीवार फांदकर स्कूल में पहुंचा और छात्र को कमरे में बंद पाया। उसने बच्चे को चुप कराते हुए खिड़की पर बुलाया और पानी दिया। वहीं इसकी सूचना पर पहुंचे सरपंच और पुलिस ने स्कूल स्टाफ को बुलाकर गेट खुलवाया और छात्र को बाहर निकाला। इसके बाद मौके पर पहुंचे उसके परिजनों को सौंपा गया।
शुक्रवार को गांव के ग्रामीणों ने इस घटना का विरोध जताया। स्कूल में चल रहे स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के बाद गांव के लोग स्कूल में एकत्र हुए। ग्रामीणों का कहना था कि गांव के बीच में स्कूल था, जिससे बच्चे के रोने की आवाज ग्रामीण को सुनाई दे गई। अगर गांव से बाहर स्कूल होता तो किसी को बच्चे के रोने की आवाज सुनाई ही नहीं देती तो कुछ भी हाे सकता था। उन्होंने इसे स्कूल स्टाफ की लापरवाही बताई। बच्चे के माता-पिता यूपी के रहने वाले हैं और नारनौल में रहकर मजदूरी करते हैं।
राजकीय प्राइमरी स्कूल नूनी कलां के हेड मास्टर सोमदत्त ने बताया कि बच्चे को नींद आ गई थी। इसलिए वह कुछ देर के लिए स्कूल में बंद रह गया। सूचना मिलते ही बच्चे को स्कूल से निकाल दिया गया था। बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है, उसे कुछ भी नहीं हुआ। चपरासी रोशनी देवी ने ग्रामीणों से इसके लिए माफी भी मांग ली है।
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(Udaipur Kiran) / श्याम सुंदर शुक्ला
