Gujarat

सूरत मनपा मुख्यालय में यूनियनों पर कड़ा शिकंजा, 10 साल पुराने अवैध कब्जों का खुलासा, कार्रवाई तेज

मनपा मुख्यालय पर अवैध यूनियनो पर कार्रवाई

सूरत , 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । गुजरात के सूरत महानगर पालिका में वर्षों से यूनियनों की बढ़ती संख्या और उनके प्रभाव को लेकर उठ रहे सवालों के बीच मनपा प्रशासन ने पहली बार निर्णायक कार्रवाई शुरू की है।

डिप्टी कमिश्नर (प्रतिनियुक्ति) निधि सिवाच ने 25 यूनियनों और एसोसिएशनों को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर अपनी वैधता साबित करने के लिए कानूनी दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए थे। नोटिस की अवधि समाप्त होने पर स्पष्ट हुआ कि कई यूनियनें अपनी वैधता सिद्ध ही नहीं कर पाईं।

लालवावटा यूनियन ने खुद खाली किया दफ्तर, अन्य यूनियनों के बोर्ड हटे

नोटिस के बाद बुधवार शाम करीब 5:45 बजे लालवावटा यूनियन ने स्वयं अपना कार्यालय खाली कर दिया। वहीं, अन्य यूनियनों द्वारा कार्यालय खाली न करने पर सेंट्रल ज़ोन की टीम ने उन यूनियनों के नाम-पट्ट हटाकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी। जांच में यह भी सामने आया कि मनपा मुख्यालय में 11 यूनियनों ने 2015 से बिना पंजीकरण के कार्यालयों का उपयोग किया यानी वे लगभग एक दशक से मनपा परिसर में अवैध रूप से कब्जा जमाकर बैठी थीं।

इतिहास में पहली बार मनपा ने मांगे वित्तीय दस्तावेज

महानगर पालिका ने पहली बार यूनियनों से पिछले तीन सालों के आयकर रिटर्न और वित्तीय दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है। इस कदम के बाद यूनियनें सख्ते में हैं, क्योंकि अब जांच केवल वैधता तक सीमित नहीं रही, बल्कि संभावित वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच होगी।

नोटिस अवधि समाप्त होने पर 11 यूनियनों के प्रतिनिधि डिप्टी कमिश्नर निधि सिवाच से मिले और कार्यालय खाली करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। पांच यूनियनों ने अपने दस्तावेज भी मनपा को सौंपे हैं। निधि सिवाच अब इन दस्तावेजों की सत्यता की जाँच करेंगी।

नई यूनियनें भी कतार में

सूत्रों के अनुसार, जहां पुरानी यूनियनों पर कार्रवाई जारी है, वहीं तीन नई यूनियनों ने मनपा मुख्यालय में कार्यालय आवंटन के लिए आवेदन भी कर दिया है, जिससे यूनियन राजनीति और तेज होने की संभावना है।

2015 में हुआ था आवंटन रद्द, फिर भी कब्ज़ा बरकरार

तथ्यों से यह भी पता चला है कि मुख्यालय (मुगलसराय) में मौजूद इन 11 यूनियनों के कार्यालयों का आवंटन 2015 में ही रद्द कर दिया गया था, लेकिन यूनियनों ने तब भी दफ्तरों पर कब्ज़ा बनाए रखा और मनपा की सुविधाओं—टेलीफोन, बिजली आदि—का उपयोग करते रहे।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक आनेवाले दिनों में मनपा संभवतः इन यूनियनों को पिछले 10 वर्षों का किराया और उपयोग किए गए उपकरणों का खर्च वसूलने का नोटिस भी भेज सकती है।

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(Udaipur Kiran) / यजुवेंद्र दुबे