
गुवाहाटी, 20 जून (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने ईद-उल-जुहा के दौरान असम मवेशी संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने विशेष रूप से मंदिरों और नामघरों के 5 किलोमीटर के दायरे में गोमांस की खपत और बिक्री के कदम को गंभीर बताया है और जिले के सभी अपायुक्तों को गोमांस से संबंधित गतिविधियों को प्रतिबंधित करने वाले खंड को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को दिसपुर स्थित लोक सेवा भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कानून के अनुसार, किसी भी मंदिर या नामघर के 5 किमी के दायरे में गोवध, गोमांस की बिक्री या सेवन सख्त वर्जित है। इसके बावजूद, इस ईद के दौरान कई जगहों पर असम मवेशी संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किया गया, जबकि उन्हें टाला जा सकता था। यदि कानून के प्रावधानों को लागू किया जाता और जनता को इसके बारे में बताया जाता, तो ऐसा नहीं होता।
मुख्यमंत्री ने धुबड़ी, लखीपुर, लखीमपुर, ग्वालपारा और होजाई जिलों में हुई घटनाओं का हवाला दिया, और कहा कि ये सभी ऐसे क्षेत्रों हैं, जहां त्योहार के दौरान गोमांस खाया गया और वो भी कानूनी रूप से प्रतिबंधित क्षेत्रों में।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये घटनाएं अचानक नहीं हुईं। ये संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रित थीं, जहां मवेशी संरक्षण अधिनियम के इस विशेष प्रावधान का पालन नहीं किया गया था। अगर जागरूकता और कानून का कड़ाई से पालन होता, तो इस तरह की अशांति को रोका जा सकता था।
डॉ. सरमा ने राज्य के सभी उपायुक्तों (डीसी) को असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, विशेष रूप से धार्मिक संस्थानों के पास गोमांस से संबंधित गतिविधियों को प्रतिबंधित करने वाले खंड को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि असम मवेशी संरक्षण अधिनियम में हाल के वर्षों में अवैध वध और मवेशियों की बिक्री के खिलाफ प्रावधानों को मजबूत करने के लिए संशोधन किया गया था, जिसमें हिंदू धार्मिक स्थलों के आसपास निषेध के विशिष्ट क्षेत्र शामिल थे। धार्मिक त्योहारों के दौरान संवेदनशील जिलों में सांप्रदायिक सद्भाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच मुख्यमंत्री का यह नया निर्देश आया है।
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(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
