
अनूपपुर, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा में न्यायालय के अधिवक्ता संघ ने व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-एक अमनदीप सिंह छाबड़ा के निवास पर पत्थरबाजी और आपत्तिजनक व्यवहार की घटना के विरोध जताते हुए सोमवार को राज्यपाल के नाम अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), कोतमा के माध्यम से 3 सूत्रीय मांग पत्र सौपा हैं। और कहा कि तहसील न्यायालय कोतमा परिसर में कार्यरत सभी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।
ज्ञात हो कि कोतमा में पदस्थ न्यायाधीश अमनदीप सिंह छाबड़ा के घर पर 24-25 अक्टूबर की रात अज्ञात लोगो ने पथराव करते जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश माया विश्वलाल न्यायाधीश के घर पहुंची और जजों की सुरक्षा को लेकर पुलिस के रवैये पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।
कोतमा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अधिवक्ता राजेश सोनी ने बताया कि तहसील न्यायालय कोतमा के अधिवक्ता कड़ा रुख अपनाते हुए घटना की कड़ी निंदा की है और इसे न्यायिक कार्य में बाधा और न्यायपालिका के प्रति अनादर के रूप में देखा है। संघ ने यह भी उल्लेख किया है कि समस्त अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंता है।
अधिवक्ता संघ मांग करते कहा कि न्यायालयीन कार्य से आज 27 अक्टूबर को विरत रहने की सूचना और आरोपी के विरुद्ध कड़ी प्रतिबन्धात्मक कार्यवाही की बात कहीं हैं। न्यायाधीशों एवं न्यायालयीन कार्य में संलग्न सभी की सुरक्षा हेतु कठोर उपाय करने, न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था हेतु पुलिस की नियमित गश्त, सीसीटीवी कैमरे, एवं अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने, पत्थरबाजी की घटना में शामिल अपरोपियों की नियमित निगरानी हेतु तत्काल कड़ी कार्यवाही,भविष्य में किसी अधिवक्ता के संबंध में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उस पर संवेदनशीलता का परिचय देते हुए तत्काल कड़ी कार्यवाही की जाये।
अधिवक्ता संघ ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे न्यायिक कार्य में बाधा और न्यायपालिका के प्रति अनादर के रूप में देखा है। संघ ने यह भी उल्लेख किया है कि समस्त अधिवक्ता समुदाय द्वारा न्यायालय में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंता व्याप्त है।
ज्ञापन की प्रतियां श्रीमान रजिस्ट्रार , म.प्र. उच्च न्यायालय जबलपुर और जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अनूपपुर को भी सूचनार्थ भेजी गई हैं। यह निर्णय लिया गया है कि जब तक उनकी मांगों पर समुचित कार्यवाही नहीं होती, तब तक संघ न्यायिक कार्य से विरत रहेगा।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला