

मुंबई,17 नवंबर ( हि.स.) । इतिहास के पदचिह्न आज भी पुराने ठाणे के अस्तित्व की गवाही देते हैं। शहर जहाँ तेज़ी से स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहा है, वहीं कई धरोहरें समय के साथ लुप्त होती जा रही हैं। ऐसे में, क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल के ध्वस्तीकरण कार्य में पगड़ीधारी एक संत की नक्काशीदार छवि वाला एक प्राचीन पत्थर मिलने से ठाणेवासियों में ऐतिहासिक जिज्ञासा बढ़ गई है।
एक नए आधुनिक मनोरोग अस्पताल के निर्माण कार्य में कई पुरानी इमारतों को हटाया जा रहा है। इसी क्रम में, कई वर्षों से बंद पड़े एक बंगले को ध्वस्त करने का कार्य चल रहा है। ध्वस्तीकरण कार्य के दौरान, यह सुंदर नक्काशीदार पत्थर सामने आया और कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक सभी इसे देखते हुए दंग रह गए।
लगभग दो से तीन फीट ऊँचा और डेढ़ से डेढ़ फीट चौड़ा यह पत्थर अपनी अत्यंत जटिल नक्काशी के साथ स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। तीनों प्रतिमाएँ, पगड़ी पहने संत, उनके बगल में खड़ा शिष्य और बगल में खड़ी नर्तकी, अत्यंत प्राचीन कला शैली में बनी हैं। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, यह पत्थर बहुत पुराना होने की संभावना है।
चूँकि अस्पताल प्रशासन के पास इस क्षेत्र के इतिहास से संबंधित कोई अभिलेख नहीं है, इसलिए इस पत्थर की सटीक उत्पत्ति, समय और सांस्कृतिक संदर्भ जानने के लिए एक अध्ययन की ज़ोरदार माँग है। ठाणे के इतिहास से परिचित लोगों के अनुसार, आज के विकास के युग में ऐसी मूल्यवान कलाकृतियों का मिलना एक दुर्लभ अवसर है, और इस धरोहर को तुरंत संरक्षित करना आवश्यक है।
अस्पताल क्षेत्र में पहले भी ब्रिटिशकालीन मुखौटों के पत्थर देखे गए हैं। इस क्षेत्र में अभी भी कई ऐतिहासिक अवशेष छिपे होने की संभावना प्रबल हो गई है। शहर के विकास और इतिहास की विरासत को मिलाकर पुरानी वस्तुओं को संरक्षित करने की माँग ज़ोर पकड़ रही है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा