
जयपुर, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कर्मचारी को पे-स्केल देने का विवाद तय हो जाने के बाद राज्य सरकार की ओर से वापस अपील दायर करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने उच्च शिक्षा विभाग पर दस हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए अपील को खारिज कर दिया है। जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस बीएस संधू ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि मामले में साल 2013 में ही आदेश जारी हो चुके हैं और उसकी अपील भी अदालत खारिज कर चुका है। ऐसे में विभाग की ओर से बार-बार अपील क्यों लगाई जा रही है।
मामले से जुड़े अधिवक्ता तरुण चौधरी ने अदालत को बताया कि कमल सिंह चौधरी नवंबर, 1985 में उच्च शिक्षा में बतौर शिक्षक नियुक्त हुआ था। वहीं जुलाई, 1992 में उसे इस पद पर नियमित किया गया। इस पर उसने यूजीसी की पे-स्केल के आधार पर वेतन देने के लिए एकलपीठ में याचिका पेश की। जिसे अदालत ने साल 2013 में स्वीकार करते हुए विभाग को प्रथम नियुक्ति तिथि से गणना कर यूजीसी की पे-स्केल देने को कहा। इस आदेश के खिलाफ दायर विभाग की अपील को भी हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जनवरी, 2016 में खारिज कर दिया। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अवमानना याचिका पेश कर अदालती आदेश की पालना की गुहार की गई। सुनवाई के दौरान विभाग की ओर से पालना रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि याचिकाकर्ता को नियमित होने की तिथि 1 जुलाई, 1992 से यूजीसी की पे-स्केल दे दी गई है। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को छूट दी कि वह साल 1985 से साल 1992 तक की अवधि के वेतन विवाद को लेकर अलग से याचिका दायर करे। इस पर याचिकाकर्ता की ओर फिर से याचिका दायर की गई। जिसे दिसंबर, 2023 में अदालत ने साल 2013 के आदेश का हवाला देते हुए तय कर दिया। इसके बावजूद भी विभाग की ओर से इस आदेश को खंडपीठ में अपील पेश कर चुनौती दी गई। जिसे अदालत ने खारिज करते हुए विभाग पर हर्जाना लगाया है।
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(Udaipur Kiran)
