RAJASTHAN

राजधानी जयपुर में पहुंचे ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी’ शो के सितारे

राजधानी जयपुर में पहुंचे ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी’ शो के सितारे

जयपुर, 6 अगस्त (Udaipur Kiran) । हर कहानी के पर्दे पर आने से पहले वो कलाकारों की रूह में उतरती है। वो किरदार, जो सिर्फ स्क्रिप्ट पर लिखा होता है, असल में तब जागता है जब कलाकार उसे जीने लगते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ जब ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी’ की टीम राजस्थान की रूह जयपुर पहुंची। स्थानीय संस्कृति को करीब से जानने, बींदणीयों के संघर्ष को समझने से लेकर स्वादिष्ट राजस्थानी थाली के साथ दिलों का मेल करने तक आकाश जग्गा, गौरी शेलगांवकर और मोनिका खन्ना के लिए यह जयपुर यात्रा एक भावुक कर देने वाला यादगार अनुभव बन गया।

सन नियो पर 12 अगस्‍त से आने वाला यह टीवी शो राजस्थान के एक छोटे से गाँव की एक जिंदादिल और साहसी लड़की घेवर की कहानी पर आधारित है। माँ-बाप के देहांत के बाद, उसका पालन-पोषण बड़े भाई और भाभी ने बड़े प्यार से किया। लेकिन ज़िंदगी तब एक अनचाहा मोड़ लेती है, जब क़िस्मत उनकी चौखट पर एक नवजात शिशु को लाकर खड़ा कर देती है। एक ऐसा बच्चा, जो दो बिल्कुल अलग जिंदगियों को आपस में जोड़ता है। उम्मीद, दर्द और छिपे हुए राज़ के इस तूफ़ान में घेवर खुद को एक ऐसी कहानी में फंसा पाती है जहाँ वादे, त्याग और एक स्त्री का अपने प्यार और अपने रिश्तों को बचाने का संघर्ष छिपा है। यह सिर्फ उसकी कहानी नहीं,बल्कि हर उस नारी की कहानी है जो परंपरा की चुनरी ओढ़कर भी अपने अधिकार और आत्मसम्मान की लड़ाई पूरी शिद्दत से लड़ती है।

शो में घेवर का किरदार निभा रही गौरी शेलगांवकर ने जयपुर यात्रा को एक बेहद सुंदर अनुभव बताते हुए कहा,यह मेरी पहली राजस्थान की यात्रा है और मैं दिल से आभारी हूँ कि इस शो ने मुझे इस खूबसूरत धरती को देखने का मौका दिया। जयपुर में मुझे वह समृद्ध संस्कृति देखने को मिली, जिसके बारे में मैं अब तक सिर्फ सुनती आई थी। सबसे खास बात यह रही कि मुझे कुछ रियल लाइफ बींदणियों से मिलने का अवसर मिला। जब मैंने उनकी कहानियाँ सुनीं, तो वे मेरे दिल को छू गई। ऐसा लगा मानो वे सचमुच वही जीवन जी रही हैं, जिसे मैं अपने किरदार ‘घेवर’ के ज़रिए परदे पर दिखा रही हूँ।

जयपुर में बिताए लम्हों को संजोते हुए कुंदन का किरदार निभा रहे अभिनेता आकाश जग्गा ने कहा,जयपुर मेरा अपना घर है। यहाँ आना हमेशा से मुझे एक सुकून भरा अहसास देता है। लेकिन इस बार की यात्रा कुछ खास थी, क्योंकि पहली बार मैं अपने सह-कलाकारों के साथ अपने शहर को एक्सप्लोर कर रहा था।

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(Udaipur Kiran)

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