
नैनीताल, 18 जून (Udaipur Kiran) । कुमाऊं विश्वविद्यालय के एमएमटीटीसी तथा वनस्पति विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को ऑनलाइन रिफ्रेशर पाठ्यक्रम के दौरान शिक्षकों व शोधकर्ताओं को पर्यावरणीय विषयों पर अद्यतन जानकारी प्रदान करने उद्देश्य से एक विशेष व्याख्यान सत्र आयोजित किया गया।
इस अवसर पर पद्मश्री अनूप साह ने हिमालयी जैव विविधता पर अपने व्याख्यान में कहा कि हिमालय प्रकृति और जैव विविधता का अनुपम भंडार है। यहां की संस्कृति में प्रकृति के प्रति गहन स्नेह और आदर विद्यमान है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण न केवल पारिस्थितिकी के लिए आवश्यक है, बल्कि यह सांस्कृतिक उत्तराधिकार को भी सुरक्षित रखने का माध्यम है।
पूर्व कुलपति व नेशनल एकेडमी के फैलो प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहे हैं। पौधों की वृद्धि, वर्षा के स्वरूप और धूप की तीव्रता में परिवर्तन आ रहा है। वाहनों की अत्यधिक संख्या और कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।
वहीं पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्रशेखर ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र में सभी प्रजातियों की अपनी-अपनी भूमिका है और प्रत्येक को समान अधिकार प्राप्त हैं। कार्यक्रम में संयोजक प्रो. ललित तिवारी, डॉ. रितेश साह तथा जतिन सहित देश के विभिन्न राज्यों से कुल 156 प्रतिभागी शामिल हुए।
(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी
