Uttrakhand

पतंजलि विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान

पतंजलि विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान

हरिद्वार, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । पतंजलि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को मानविकी एवं प्राच्य विद्या संकाय अंतर्गत मनोविज्ञान विभाग द्वारा “कंटेम्पररी साइकोलॉजी : इमर्जिंग इश्यूज एंड कंसर्नस ” विषय पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह आयोजन बौद्धिक संवाद, चिंतन और विचार-विमर्श का ऐसा अवसर सिद्ध हुआ जिसमें भारतीय और पाश्चात्य मनोविज्ञान की अवधारणाओं के बीच सामंजस्य, टकराव और चुनौतियों को गहनता से समझा गया।

मुख्य वक्ता के रूप में पधारे महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति तथा विख्यात मनोवैज्ञानिक प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि भारतीय परंपरा में मनोविज्ञान केवल मानसिक प्रक्रियाओं की व्याख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन-दर्शन, आत्म-चिंतन, समरसता और संतुलन की ओर उन्मुख है। इसके विपरीत, पाश्चात्य मनोविज्ञान का झुकाव व्यक्ति-केंद्रितता और व्यवहार की बाह्य अभिव्यक्तियों की ओर अधिक है।

आज डिजिटल क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सोशल मीडिया के दबाव, त्वरित संचार साधनों और उपभोक्तावाद की संस्कृति ने मानवीय संवेदनाओं और सोचने-समझने की क्षमता को गहरे स्तर पर प्रभावित किया है।

कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. मयंक कुमार अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकार के अकादमिक विमर्श न केवल विद्यार्थियों को अद्यतन ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों और परंपराओं के साथ भी जोड़ते हैं।

कार्यक्रम की संयोजिका एवं मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. वैशाली गौर व सह-प्राध्यापक डॉ. लोकेश गुप्ता ने कहा कि भारतीय मनोविज्ञान और पाश्चात्य मनोविज्ञान के बीच यह संवाद आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मंच संचालन की जिम्मेदारी अनन्या एवं वृति ने कुशलतापूर्वक निभाई।

—————

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

Most Popular

To Top