Uttar Pradesh

हमला या सुरक्षा के लिए नहीं, संचार और ब्रॉडकास्टिंग के लिए शुरू हुआ भारत में स्पेस तकनीक: डॉ. रमनगौडा

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के पूर्व बीएचयू में जन जागरूकता कार्यक्रम
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के पूर्व बीएचयू में जन जागरूकता कार्यक्रम

—अंतरिक्ष तकनीक में है 40 लाख करोड़ के व्यापार और 3 करोड़ रोजगार की संभावना

—राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के पूर्व बीएचयू में जन जागरूकता कार्यक्रम

वाराणसी,08 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (23 अगस्त) से पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन देश भर में युवाओं को अंतरिक्ष तकनीक से रूबरू कराने एवं अंतरिक्ष तकनीक के प्रति प्रेरित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम पर जोर दे रहा है। शुक्रवार को यू. आर. राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी) और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला, बेंगलुरु के तत्वावधान में और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भूभौतिकी विभाग के सहयोग से स्वतंत्रता भवन सभागार में स्कूली छात्रों से यू. आर. राव स्पेस सेंटर के एसोसिएटेड डायरेक्टर डॉ. रमनगौडा वी. नाडागौड़ा रूबरू हुए।

इस दौरान डॉ. रमनगौडा ने कहा कि भारत में अंतरिक्ष तकनीक का विकास हमला या सुरक्षा के उद्देश्य से नहीं बल्कि संचार और प्रसारण के उद्देश्य से किया गया था। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक का बाज़ार लगभग 40 लाख करोड़ रुपए और 3 करोड़ रोजगार का है। विद्यार्थियों से डॉ. गौडा ने कहा कि आप अपना पैशन फॉलो करिए क्योंकि अंतरिक्ष तकनीक हर क्षेत्र के प्रतिभावान लोगों की मदद से ही अग्रसर होगी । कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने इसरो की टीम को उनकी उपलब्धियों के इतर विद्यालयों के विद्यार्थियों तक पहुँचने के लिए बधाई दी। कुलपति ने ज़ोर दिया कि जितना अधिक बच्चों और युवाओं को प्रेरित करेंगे उतना ही अधिक प्रतिभाएँ अंतरिक्ष तकनीकी के क्षेत्र में क़दम बढ़ाएँगी।

कार्यक्रम में राजकीय बालिका पॉलिटेक्निक कॉलेज, प्रयागराज के अध्यापक हिमांशु मौर्या ने कहा कि विकसित और सफल राष्ट्र के लिए स्वदेशी और उन्नत तकनीक अत्यंत आवश्यक है। साल 2024 में 2 लाख से अधिक शोध लेखों के साथ भारत विश्व में शोध लेखों के प्रकाशन में तीसरे स्थान पर रहा। उन्होंने सभा में उपस्थित लोगों का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया कि साल 1975 में रूसी मदद से अपना पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ लॉन्च करने वाला हमारा देश, आज 50 से अधिक देशों का उपग्रह स्वदेशी तकनीकों की मदद से लांच कर रहा है।

मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी, इसरो के निदेशक पंकज डी किलेदार ने छात्रों को इसरो के क्रियाकलाप के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत अब तक 34 देशों के 438 उपग्रहों को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। इसरो के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर के निदेशक डी. के. सिंह ने स्पेस सिस्टम के बारे में बारीकी से जानकारी दी। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में मानव के लिए अंतरिक्ष यात्रा की आवश्यकताओं, संभावनाओं और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की।

यू. आर. राव उपग्रह केंद्र के प्रोग्राम निदेशक जसविंदर सिंह खोरल ने कहा कि इंसान जब कभी चन्द्रमा पर जाएगा तो वो ध्रुवीय क्षेत्र में ही जाएगा, जहाँ भारत का चंद्रयान उतरा था, क्योंकि पानी वहीं हैं। यह इसरो और देश की उपलब्धि है। अतिथियों का स्वागत भूभौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ज्ञान प्रकाश सिंह ने की। आयोजन के दूसरे सत्र में एम. शामबय्या ने अंतरिक्ष प्रणोदन पर अपनी प्रस्तुति दी। जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे अंतरिक्ष यान कार्य करता है। विभिन्न विद्यालयों से आए विद्यार्थियों को विज्ञान विशेष तौर पर अंतरिक्ष तकनीक के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए क्विज का आयोजन किया गया। जिसका संचालन शशांक एस. ने किया। आयोजन में विश्वविद्यालय के मंच कला संकाय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति पेश की । इसरो के वैज्ञानिकों से रूबरू होते हुए विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों ने सवाल जवाब किए।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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