

— एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य थीम पर आम जन को योग से जुड़ने का संदेश
वाराणसी, 20 जून (Udaipur Kiran) । 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में नमोघाट पर चल रहे योग सप्ताह के छठवें दिन शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने सीआईएसएफ जवानों के साथ सामूहिक योगाभ्यास कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश दिया। इस अवसर पर गोवर्धन पूजा समिति एवं नमो गोवर्धन मॉर्निंग टीम के सदस्यों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार योगाचार्य अभय स्वाभिमानी एवं रक्षा कौर ने उपस्थित जनसमूह को विभिन्न योगासन कराए और योग को जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बनाने का आग्रह किया। एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा, योग अब वैश्विक पहचान बन चुका है। यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। सभी लोगों को प्रतिदिन योग करना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले गोवर्धन पूजा समिति के अध्यक्ष विनोद यादव गप्पू, दिनेश यादव गप्पू, महामंत्री पारस यादव पप्पू एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय मिश्रा ने विशेष अतिथियों का स्वागत किया।
इस दौरान सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा के साथ सीआईएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट कृष्ण कुमार राय, इंस्पेक्टर पीयूष कुमार, महेंद्र कुमार यादव और विनोद गोस्वामी को केसरिया अंगवस्त्र पहनाकर और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने योग के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का संकल्प लिया।
— गंगा में योग कर दिया संस्कृति-प्रकृति से जुड़ने का संदेश
गंगा की अविरलता-निर्मलता और घाट किनारे स्वच्छता के संकल्प को साकार करने के लिए नमामि गंगे की टीम ने विश्व योग दिवस के एक दिन पूर्व शुक्रवार को दशाश्वमेध घाट के सामने जलयोग किया। गंगा में जलयोग के दौरान प्राणायाम, वृक्षासन, ताड़ासन,अनुलोम-विलोम, गरुड़ासन, सूर्य नमस्कार जैसे जल में किए जाने वाले तमाम योग क्रियाओं का प्रदर्शन कर सदस्यों ने जल संरक्षण एवं विश्वकल्याण की कामना की। गंगा की लहरों पर शिव स्तुति, गायत्री मंत्र , महामृत्युंजय मंत्र, द्वादश ज्योतिर्लिंग श्लोक एवं गंगाष्टकम का पाठ करके योग साधना की गई । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने बताया कि गंगा और योग दोनों आत्मा की शुद्धता, शांति और मुक्ति के प्रतीक हैं। गंगा योग का भौगोलिक और आध्यात्मिक आधार रही है और योग गंगा जैसी शुद्धता की ओर यात्रा का साधन है। नदियां मानव सभ्यता की जननी रही हैं। प्राचीन काल से ही नदियों के किनारे सभ्यताओं का विकास हुआ है। वर्तमान समय में नदियों का संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने बताया कि जल योग का अद्वितीय लाभ है। जल में वृक्षासन करने से वजन व तनाव घटता है। जल में ताड़ासन से चिड़चिड़ापन खत्म होगा, शरीर में अधिक एसिड नहीं बनेगा। गरुड़ासन करने से एकाग्रता बढे़गी। प्राणायाम करने से मन और रक्त की शुद्धि होती है।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
