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मोबाइल और नशे की चपेट में युवा पीढ़ी, संस्कार विहीनता से समाज विचलित : शांता कुमार

Shanta

शिमला, 18 जून (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने समाज में बढ़ती अपराध और आत्महत्याओं की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्हाेंने कहा कि तकनीक की दौड़ में युवा पीढ़ी संस्कारविहीन होती जा रही है, जिसके परिणाम भयावह रूप ले रहे हैं। कुछ समाचार इतने विचलित करने वाले हैं कि उन्हें पढ़कर सिर चकरा जाता है।

शांता कुमार ने हाल ही की कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि एक बेटे ने मामूली विवाद पर अपने पिता की हत्या कर दी, एक बेटी ने मोबाइल छीने जाने पर आत्महत्या कर ली और एक नवविवाहिता ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करवा दी। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि समाज किस दिशा में जा रहा है।

पहले बच्चों को घर में माता-पिता और दादा-दादी से संस्कार मिलते थे, लेकिन आज मोबाइल और इंटरनेट ने बच्चों को अपने परिवार से दूर कर दिया है। अब बच्चे बड़ों से कुछ सीखने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि गूगल से उन्हें सब कुछ पता है। यही नया अहंकार उन्हें विनाश की ओर ले जा रहा है।

संस्कारों की कमी, नशे का बढ़ता प्रभाव, जनसंख्या विस्फोट, गरीबी और बेरोजगारी मिलकर एक गंभीर सामाजिक संकट उत्पन्न कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में योग और नैतिक शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि अब संस्कार देने का काम शिक्षा विभाग को करना होगा। सरकार एक विद्वान समिति गठित करे जो योग और नैतिक शिक्षा का उपयुक्त पाठ्यक्रम तैयार करे। चेतावनी दी कि यदि युवा पीढ़ी को समय रहते सही दिशा नहीं दी गई तो देश का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। उन्होंने सरकार और समाज के बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे इस गंभीर संकट की ओर शीघ्र ध्यान दें।

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(Udaipur Kiran) शुक्ला

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