
– “औषधि विकास, नैदानिक परीक्षण और चिकित्सा अभ्यास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” पर कार्यक्रम
प्रयागराज, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद (ट्रिपल आईटी) में 13 से 18 अक्टूबर तक एआईसीटीई-एटीएएल प्रायोजित “स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिः औषधि विकास, नैदानिक परीक्षण और चिकित्सा अभ्यास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम की आयोजक डॉ. निधि मिश्रा ने बताया कि इस एफडीपी का उद्देश्य जीवविज्ञान, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और डेटा साइंस के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और युवा शिक्षकों को एक साझा मंच पर लाना है। जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की उस रूपांतरणकारी क्षमता पर चर्चा की जाएगी, जो औषधि खोज, नैदानिक परीक्षण के अनुकूलन और स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र को नई दिशा दे रही है।
डॉ. सिंतु के. सामंता, एसोसिएट प्रोफेसर, ट्रिपल आईटी इलाहाबाद ने बताया कि यह कार्यक्रम डॉ. रघु आर., मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मॉलिक्यूलर सॉल्यूशंस सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावाने करेंगे।
उन्होंने बताया कि एफडीपी में प्रतिष्ठित वक्ताओं में प्रो. सेजर दे ला फुएंते यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया, डॉ. रघु आर, डॉ. राकेश्वर बंदीछोर, डॉ. अनुप्रिया कुमार, डॉ. मोहम्मद इमरान सिद्दीकी और डॉ. कुनाल रॉय आदि शामिल हैं। सत्रों में औषधि खोज में एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग, नैदानिक परीक्षण डिजाइन और डेटा एकीकरण, फार्माकोविजिलेंस, नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) तथा क्वांटिटेटिव स्ट्रक्चर-एक्टिविटी रिलेशनशिप मॉडलिंग जैसे विविध विषयों पर चर्चा की जाएगी।
ट्रिपल आईटी इलाहाबाद के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र डॉ. ऋतुराज पुरोहित (वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईएचबीटी) और डॉ. विश्वजीत मुल्पुरु (बायोइन्फॉर्मेटिशियन) भी व्याख्यान देंगे और अपने अनुसंधान तथा उद्योग से जुड़े अनुभव साझा करेंगे।
ट्रिपल आईटी के मीडिया प्रभारी डॉ पंकज मिश्र ने बताया कि यह एफडीपी शिक्षकों और शोधार्थियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित नवीन तकनीकों से परिचित कराने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा, जो वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को तेजी से परिवर्तित कर रही हैं। प्रतिभागियों को कम्प्यूटेशन, जीव विज्ञान और नैदानिक अनुसंधान को जोड़ने वाले बहु-विषयी दृष्टिकोणों की समझ प्राप्त होगी, जो आधुनिक चिकित्सा में नवाचार के नए द्वार खोलेंगे।
—————
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
