
इटानगर, 23 जून (Udaipur Kiran) । अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग ज़िले का छोटा सा गांव सिल्लुक अब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। गांव की स्वच्छता और सतत् विकास की प्रेरणादायक कहानी को एनसीईआरटी की कक्षा 3 की पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस) की पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है।
पुस्तक के अध्याय 12 टेकिंग चार्ज ऑफ़ वेस्ट में सिल्लुक का उल्लेख किया गया है, जिसमें यह गांव कचरा प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण बनकर उभरा है।
इस उपलब्धि पर स्थानीय विधायक ओकेन तायेंग ने सोशल मीडिया पर हर्ष व्यक्त करते हुए लिखा, सिल्लुक गांव और उसके लोगों को हार्दिक बधाई! यह अरुणाचल प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है। अब देशभर के बच्चे हमारे प्रयासों और मूल्यों के बारे में पढ़ेंगे।
तीन बार ज़िले के स्वच्छतम गांव के लिए मुख्यमंत्री पुरस्कार प्राप्त कर चुका सिल्लुक, स्वच्छ सिल्लुक अभियान (एसएसए) की अगुवाई में यह बदलाव लाया। अभियान के अध्यक्ष केपांग नोंग बोरांग और पूर्व उपायुक्त किन्नी सिंह की दूरदर्शिता ने इस मिशन की नींव रखी।
गांव ने सामूहिक संकल्प लिया—रिड्यूस रीयूज रीसाइकिल। पहले जहां सफाई एक चुनौती थी, वहीं अब यह गांव एक शून्य-कचरा समुदाय के रूप में विकसित हो चुका है। जैविक अपशिष्ट से खाद बनाना, प्लास्टिक उपयोग कम करना और पुनर्चक्रण जैसी गतिविधियां अब ग्रामीण जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।
एसएसए के अध्यक्ष बोरांग ने इस अवसर पर कहा, हम गर्वित और अभिभूत हैं। यह सम्मान दर्शाता है कि जब कोई समुदाय एकजुट होकर पर्यावरण की जिम्मेदारी उठाता है, तो चमत्कार संभव है।
अब, जब सिल्लुक की कहानी देश भर के स्कूली बच्चों तक पहुंच रही है, यह केवल एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में सतत जीवनशैली की प्रेरणा बन गई है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
