Uttar Pradesh

जीवन संचालन का दिव्य मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद्भागवत : पंडित अजित कृष्ण शास्त्री

श्रीमद्भागवतकथा सुनाते पंडित अजीत कृष्ण शास्त्री।

मीरजापुर, 16 नवंबर (Udaipur Kiran) । हलिया क्षेत्र के पिपरा बाजार में चल रही ग्यारह दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दसवें दिन रविवार की संध्या भक्तिमय भावों से सराबोर रही। कथावाचक पंडित अजित कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण-रूक्मिणी विवाह तथा अर्जुन को दिए गए उपदेश की पवित्र कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव-विह्वल कर दिया।

शास्त्रीजी ने बताया कि रूक्मिणी के स्वयंबर में देश-देशांतर के राजा उपस्थित हुए थे, परंतु रूक्मिणी के मन में केवल भगवान कृष्ण ही विराजमान थे। उनकी अविचल भक्ति और प्रेम को देखकर स्वयं श्रीकृष्ण ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करने का संकल्प लिया और सहमति के बाद उनका हरण कर विवाह संपन्न किया।

कथा के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि रूक्मिणी–कृष्ण विवाह कर्तव्य, धर्म, प्रेम और प्रीति के दिव्य महत्व को उजागर करता है।

शास्त्री जी ने अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश का वर्णन भी किया जिसमें निष्काम कर्म, आत्मज्ञान और मोक्षमार्ग का गूढ़ रहस्य छिपा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मोक्षदायिनी होने के साथ जीवन संचालन का दिव्य मार्ग भी प्रशस्त करती है।

कार्यक्रम में मुख्य यजमान मूलचंद तथा मुख्य सहयोगी के रूप में भाजपा हलिया मंडल अध्यक्ष दिनेश अग्रहरि, श्याम शरण सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा समापन के बाद आरती के साथ प्रसाद वितरण किया गया।

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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा