
ऊना, 23 जून (Udaipur Kiran) । अंत: करण की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण से बढक़र दूसरा कोई साधन नही है। जन्म जन्मातंर में जब बहुत से पुण्य: इकठ्ठे होते हैं तब जाकर श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण का मौका मिलता है। ये प्रवचन प्रो. सिम्मी अग्रिहोत्री की पुण्य स्मृति में कम्युनिटी सेंटर गोंदपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के पहले दिन सोमवार को कथा ब्यास जगतगुरू स्वामी राजेंद्र दास देवाचार्य जी महाराज ने किए।
उन्होंने कहा कि इस पवित्र कथा का श्रवण देवताओं को भी दुर्लभ है।
जब शुकदेव जी महाराज कथा कह रहे थे तो देवराज इंद्र देवताओं के साथ आए और अमृत का कलश शुकदेव जी और परीक्षित जी के मध्य में रखकर प्रार्थना की कि ये अमृत ले लो और कथारूपी अमृत हमें पिला दो। लेकिन शुकदेव जी ने उन्हें कथा नही सुनाई क्योंकि वे कथा के श्रोता नही बल्कि व्यापारी बनकर आए थे। इंद्र ने अमृत के बदले कथा का व्यापार करने की सोची थी।
स्वामी राजेंद्र दास जी ने कहा कि इसका सीधा सा अर्थ है कि कथा का सौदा करने वाले ना तो कथा सुनने के अधिकारी है और ना ही कहने के। अमृत बड़ी ही दुर्लभ वस्तु हैं, लेकिन श्रीमद् भागवत कथा के सामने अमृत एक कांच के टुकड़े के समान है। जैसे एक कांच के टुकड़े और दिव्य मणि की बराबरी नही है वैसे ही स्वर्ग के अमृत और भागवत रूपी दिव्य अमृत की कोई बराबरी नही है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कृष्णलोक की प्राप्ति कराने वाली है। कथा महापापी का भी उद्धार करती है।
कथा ब्यास श्री राजेंद्र दास जी ने कहा कि आजकल देखने में आ रहा है कि कथा मनोरंजन का नही बल्कि आत्मरंजन का साधन है। मनोरंजन के ओर भी कई साधन हो सकते हैं, लेकिन आत्मरंजन का केवल एक ही साधन श्रीमद् भागवत कथा है। इसलिए इस कथा में आपको गीत-गजलें कम ही सुनाई देंगी, जो भागवत में है केवल उसी का श्रवण करवाया जाएगा। अगर श्रद्धा से कथा का श्रवण करेंगे तो इस जन्म ही नही बल्कि जन्म जन्मातंरों के पाप भी नष्ट होंगे। भगवान नारायण जी ने श्रीमद् भागवत कथा का उपदेश भगवान ब्रम्हा जी को दिया था। भगवान ब्रम्हा जी ने इसका उपदेश नारद जी को किया। वही उपदेश नारद जी ने ब्यास जी को किया और ब्यास जी ने इसे समाधि में साक्षात्कार किया और तदोपरांत इसे लिपिबद्ध किया। कथा ब्यास जी ने नारद जी और सनकादि ऋषियों का मिलन। वृदांवन में नारद जी और भक्ति, ज्ञान-वैराग्य की कथा और धुंधकारी-गोकर्ण की कथा का श्रवण श्रद्धालुओं को करवाया।
प्रसिद्ध कथा वाचक स्वामी राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि हमें माँ भगवती और भगवान शिव के प्रिय स्थान हिमाचल प्रदेश में परम पवित्र आषाढ़ मास में कथा करने का अवसर प्राप्त हो रहा है, जिसके भगवान ने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री का निमित्त बनाया है। आपकी धर्मपत्नी स्वर्गीय डा. सिम्मी अग्रिहोत्री के पवित्र भाव से ये अवसर मिला है, जिनको भगवद धाम गए लगभग एक वर्ष हो गया है। आप ऐसा अनुभव करें कि वे अपने भाव से देह में विराजमान होकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करेंगी और भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंचेंगी। क्योंकि भागवद कथा से श्रीकृष्ण की शरण मिलना निश्चित है। उन्होंने कहा कि ये भी संयोग ही है कि कथा की तैयारियां इतनी जल्दी हो गई नही तो इन दिनों में हमने दिल्ली में रहना था। ये भगवान का बनाया ही संयोग हैं कि मात्र कुछ माह में ही जहां कथा शुरू हो गई। भगवान का के बनाए इस संयोग में आपकी धर्मपत्नी का जो भाव है उसी कारण ये संयोग बन गया।
श्रीमद् भागवत कथा की शुरूआत से पहले डा. आस्था अग्रिहोत्री के नेतृत्व में कलश यात्रा निकाली गई, जो कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री के घर आस्था कुंज से शुरू हुई और कथास्थल पर जाकर संपन्न हुई। मुख्य यजमान के रूप में डिप्टी सीएम मुकेश अग्रिहोत्री और उनकी बेटी आस्था अग्रिहोत्री ने ब्यासपूजन के साथ कथा का शुभारंभ किया।
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(Udaipur Kiran) / विकास कौंडल
