

रांची, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बरियातू स्थित मैथन पैलेस में आयोजित तीन दिवसीय श्रीरामकथा महोत्सव का शुक्रवार को भव्य विश्राम सत्र हुआ। मुख्य आकर्षण सीताराम विवाह का हृदयस्पर्शी प्रसंग था, जिसे सुनकर उपस्थित श्रद्धालुओं ने भगवान राम और माता सीता के जीवनदर्शन से जुड़ी गूढ़ शिक्षाओं को आत्मसात किया।
इस दौरान राजन जी महाराज ने कथा में जनकपुर के राज्य में आयोजित स्वयंवर से लेकर प्रभु राम और माता सीता के विवाह तक की घटनाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया। राजन जी महाराज ने बताया कि यह विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो कुलों और दो संस्कृतियों के पवित्र संगम का प्रतीक था।
उन्होंने समझाया कि राम और सीता का विवाह आज भी आदर्श दांपत्य जीवन का सर्वोत्तम उदाहरण है, जिसमें प्रेम, कर्तव्य, मर्यादा और आपसी सम्मान की सर्वोच्च भावना विद्यमान है।
महाराज ने कहा कि विवाह वह बंधन नहीं है जो केवल सामाजिक रीति-रिवाजों में बंधे, बल्कि यह दो आत्माओं का मिलन है जो एक-दूसरे के कर्तव्यों और जीवन मूल्यों का सम्मान करते हुए जीवन की कठिनाइयों का सामना करती हैं।
हर परिस्थिति में धर्म का करें पालन
कथा में श्रीराम के अन्य जीवन प्रसंगों का भी उल्लेख किया गया। शिव-पार्वती विवाह, विश्वामित्र आश्रम, ताड़का वध, अहिल्या उद्धार, राम-लक्ष्मण की गुरुभक्ति, नाम-महिमा और रामायण के विभिन्न संघर्षों को उद्धृत करते हुए उन्होंने प्रत्येक प्रसंग से मिलने वाली जीवन-दर्शन और शिक्षा को समझाया। उन्होंने कहा कि श्रीराम केवल भगवान नहीं, बल्कि जीवन जीने की पद्धति हैं। उनके चरित्र से यह सिख मिलती है कि कठिनाइयों का सामना संयम और साहस से करें, निर्णय, न्याय और धर्म के अनुसार लें, संबंधों में मर्यादा और सम्मान बनाए रखें और हर परिस्थिति में धर्म का पालन करें।
इस मौके पर उन्होंने युवाओं से भगवान राम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि युवा शक्ति राष्ट्र की दिशा तय करती है। यदि युवा राम और उनके पात्रों जैसे लक्ष्मण, भरत और हनुमान से प्रेरणा लें, तो न केवल अपने जीवन को संवार सकते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी योगदान दे सकते हैं।
कथा के दौरान यह भी बताया गया कि रामकथा केवल धार्मिक महत्व की नहीं है, बल्कि यह समाज में नैतिक और मानवीय मूल्यों को जागृत करने का माध्यम भी है। राजन महाराज ने परिवार में बढ़ते मतभेद, नशे और हिंसा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए रामकथा से मिलने वाली सीखों को प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि माता-पिता के प्रति भक्ति, बेटी बचाओ और नारी सम्मान, पर्यावरण और सेवा कार्य के प्रति समर्पण, इन सभी का मार्ग रामकथा ही दिखाती है।
कार्यक्रम में भजन-कीर्तन, आरती और प्रसाद वितरण के साथ समापन हुआ। राम कथा को सफल बनाने में श्री राम कथा आयोजन ट्रस्ट के संयोजक राजेश गुप्ता, कुमार प्रेम चंद, शिव अग्रवाल, पप्पू सिंह, अभिमन्यु प्रसाद, सूरज कुमार, आशुतोष द्विवेदी, संगीता राज, जितेंद्र भगतिया सहित अन्य का सहयोग रहा।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
