Uttar Pradesh

कानपुर में लगातार 15 साल तक इकलौते सांसद रहे श्रीप्रकाश

श्रीप्रकाश जायसवाल के आवास पर उपस्थित शुभचिंतक
श्रीप्रकाश जायसवाल को श्रद्धांजलि देते शुभचिंतक

— नरेन्द्र मोदी की लहर से अंत तक नहीं उबर पाये

कानपुर, 29 नवम्बर (Udaipur Kiran) । कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे श्रीप्रकाश जायसवाल के निधन से कानपुर की राजनीति में एक युग का अंत हो गया। उन्होंने जनता के बीच ऐसी पहुंच बनाई ​थी कि कानपुर के इकलौते ऐसे सांसद बनने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया जो अभी तक कायम है। उन्होंने तीन बार लगातार 15 साल तक संसद में कानपुर का प्रतिनिधित्व किया और केन्द्र सरकार में राज्य, स्वतंत्र प्रभार एवं कैबिनेट मंत्री के रुप में भी जिम्मेदारियों का बखूबी से निर्वहन किया। हालांकि नरेन्द्र मोदी की लहर से अंत तक राजनीतिक रुप से उबर नहीं पाए, लेकिन लोगों के दिलों में बराबर राज करते रहे और अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर चाहने वालों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

सुल्तानपुर के गंगा प्रसाद जायसवाल आजादी से पूर्व कानपुर में आकर व्यवसाय करने लगे और सितंबर 1944 में उनके घर पर जिस बेटे श्रीप्रकाश जायसवाल ने जन्म लिया वही आगे चलकर 1989 में कानपुर का प्रथम नागरिक यानी मेयर बना। हालांकि सक्रिय राजनीति में 1977 में ही श्रीप्रकाश ने कदम रख दिये थे और 1984 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पिछड़ा वर्ग संघ के महांमत्री बने, बाद में चेयरमैन भी बने। साल 1989 में जब पहली बार महापौर का चुनाव सीधे जनता से हुआ तो श्रीप्रकाश ने पार्टी में दावेदारी की और कानपुर की जनता ने उनको महापौर बना दिया। इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और जनता के बीच इस कदर पैठ बनाई कि लोगों के दिलों पर राज करने लगे। लेकिन वह दौर राम मंदिर आंदोलन का था और भाजपा ने कानपुर में अपनी पैठ मजबूत कर ली थी, जिसके चलते 1993 में छावनी विधानसभा से वर्तमान उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सतीश महाना से उनको हार का सामना करना पड़ा।

1991 से लगातार 1998 तक लगातार तीन बार लोकसभा में जीत हासिल कर चुके भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण के मुकाबले कांग्रेस ने 1999 में उन पर फिर विश्वास जताया और अंतिम तीन दिन में चुनाव की तस्वीर बदलकर भाजपा के खाते से सीट छीनकर जीत हासिल कर ली। कानपुर में कांग्रेस की वापसी देख पार्टी ने उत्तर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में जनता ने उन पर फिर विश्वास जताया और यूपीए वन की केन्द्र सरकार में गृह राज्य मंत्री बने। अगले 2009 के चुनाव में जनता का विश्वास बरकरार रहा और यूपीए टू की केन्द्र सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनकर कोयला मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। दो साल बाद 2011 में पार्टी हाईकमान ने उनका ओहदा बढ़ाकर कोयला मंत्रालय में ही बतौर कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी।

–मोदी की एक जनसभा ने राजनीति की बदल दी तस्वीर

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार व गुजरात के तत्काली मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानपुर से चुनावी अभियान की शुरुआत की और उनकी एक जनसभा ने कानपुर की राजनीति की पूरी तस्वीर बदल दी। मोदी जहां कांग्रेस पर जमकर बरसे तो वहीं कानपुर में श्रीप्रकाश जायसवाल का राजनीतिक कद भांपते हुए सिर्फ एक वाक्य कहा कि कोयले की कालिख कानपुर भी पहुंच गई है। इसके बाद ऐसी फिजा बदली कि अंत तक श्रीप्रकाश जायसवाल नहीं उबर पाए।

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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह