
शिमला, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश के संयुक्त अनुसूचित जाति वर्ग के संगठनों का राज्यस्तरीय अधिवेशन गुरुवार को शिमला कालीबाड़ी में ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न हुआ। इस अधिवेशन में प्रदेशभर के 35 संगठनों से लगभग 400 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अधिवेशन की अध्यक्षता सभी संगठनों के नेतृत्वकर्ताओं ने संयुक्त रूप से की, जबकि संचालन जगत राम ने किया।
कार्यक्रम में पूर्व विधायक और हिमाचल किसान सभा के राज्य सचिव राकेश सिंघा तथा पूर्व महापौर संजय चौहान विशेष रूप से उपस्थित रहे। अधिवेशन में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी अनुसूचित जाति वर्ग के संगठन अब “शोषण मुक्ति मंच” के साझा बैनर तले एकजुट होकर जातिगत उत्पीड़न, भेदभाव और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष छेड़ेंगे।
अधिवेशन में 35 सदस्यीय राज्य समिति का गठन किया गया, जिसमें आशीष कुमार को सर्वसम्मति से राज्य संयोजक चुना गया, जबकि राजेश कोष और मिन्टा जिंटा को सह संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई। नवगठित “शोषण मुक्ति मंच” ने रोहड़ू और कुल्लू सैंज की हालिया घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की और सरकार से मांग की कि पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाया जाए, सिकंदर के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
मंच के संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि इस आंदोलन में किसान, मजदूर और महिला संगठनों का भी पूरा सहयोग रहेगा। उन्होंने बताया कि 15 नवंबर तक प्रदेश के सभी जिलों में अधिवेशन आयोजित किए जाएंगे, जिनमें संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत किया जाएगा। इसके बाद 17 नवंबर को “शोषण मुक्ति मंच” के बैनर तले प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए जाएंगे।
आशीष कुमार ने कहा कि यह संघर्ष किसी एक वर्ग का नहीं बल्कि पूरे समाज के न्याय, समानता और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि मंच का उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है, जहां किसी भी व्यक्ति के साथ जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव न हो और हर नागरिक को समान अवसर और सम्मान मिले।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
