
कोलकाता, 29 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की बहुचर्चित राजनीतिक जोड़ी शोभन चटर्जी और उनकी पत्नी तृणमूल विधायक रत्ना चटर्जी के विवाह विवाद पर शुक्रवार को बड़ा फैसला आया। सियालदह अदालत ने वर्ष 2017 में शोभन चटर्जी द्वारा दायर तलाक की याचिका खारिज कर दी। साथ ही रत्ना चटर्जी द्वारा दाखिल एकसाथ रहने की याचिका को भी अदालत ने मंजूरी नहीं दी। यानी कानूनी तौर पर विवाह बना रहेगा, लेकिन दोनों अलग-अलग ही रहेंगे।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि शोभन चटर्जी अपनी याचिका में लगाए गए आरोपों को साबित करने में असफल रहे। उन्होंने रत्ना पर हिंसा, बच्चों की उपेक्षा और पैसों के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप लगाए थे, किंतु इनमें से कोई भी अदालत में सिद्ध नहीं हो सका। इसी आधार पर तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया गया।
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रत्ना ने फैसले को बताया महिलाओं की जीत
फैसले के बाद बेहला पूर्व से तृणमूल विधायक रत्ना चटर्जी ने अदालत परिसर में मीडिया से कहा कि आठ वर्षों की मेरी लड़ाई आखिरकार सफल हुई। पुरुष प्रधान समाज में अक्सर महिलाएं सत्ता और परिस्थितियों के सामने हार मान लेती हैं। लेकिन यह जीत सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि हर उस महिला की है, जो अन्याय के खिलाफ खड़ी होती है।
रत्ना ने इस व्यक्तिगत लड़ाई को सामाजिक आयाम देने की कोशिश की। वहीं, उनके पुत्र ऋषि चटर्जी ने भी मां की जीत को बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश की पीड़ित महिलाओं की जीत बताया। भावुक अपील करते हुए उन्होंने पिता शोभन चटर्जी से कहा कि प्लीज पापा, कमबैक पापा। नथिंग इज टू लेट। हम सब कुछ ठीक कर लेंगे।
इस फैसले पर शोभन चटर्जी की ओर से अभी तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, पूरे मामले के दौरान अक्सर उन्हें अपनी करीबी मित्र वैशाखी बनर्जी के साथ अदालत जाते देखा गया था, जबकि रत्ना अपने समर्थकों और करीबी सहयोगियों के साथ पेश होती थीं।
गौरतलब है कि पिछले आठ वर्षों से चल रहे इस मुकदमे ने कई उतार-चढ़ाव देखे। कभी शोभन पक्ष ने रत्ना पर आपराधिक गिरोह से संबंध रखने तक का आरोप लगाया था, तो कभी रत्ना ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे हास्यास्पद बताया था।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
