
नई दिल्ली, 17 सितंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दी और उनके साथ पहली मुलाक़ात का किस्सा एक्स पर बताया।
बुधवार को एक्स पर साझा किए अपने संदेश में शिवराज सिंह ने कहा कि 1992-93 जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी, कश्मीर की घाटी पर आतंक चरम पर था, कांग्रेस की सरकार थी, श्रीनगर के लाल चौक पर कोई तिरंगा झंडा फहराने की सोच भी नहीं सकता था। तब पार्टी ने फैसला किया पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने का, आतंकवाद को चुनौती देने का और तय किया कि डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में एकता यात्रा निकलेगी। कन्याकुमारी से श्रीनगर के लाल चौक तक अलख जगाते हुए, जागरण का मंत्र फूंकते हुए श्रीनगर के लाल चौक पर जोशी जी तिरंगा झंडा फहराएंगे।
सवाल था, ऐसी यात्रा जिसकी राह पर कदम-कदम पर खतरा है। इस यात्रा से जनता को जोड़ना, पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोना, सफलता पूर्वक यात्रा का संचालन कौन करेगा..? तब एक ही नाम याद आया- नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का। वो यात्रा के प्रभारी बनाए गए। मेरी पहली मुलाकात उनसे वहीं हुई थी। मैं तब विदिशा से सांसद चुना ही गया था। यात्रा से नौजवानों को जोड़ने के लिए केसरिया ब्रिगेड बनाई गई और मुझे केसरिया ब्रिगेड का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया। तब मोदी जी से मिलने का सौभाग्य मिला। पहली बार मैंने देखा, एकता यात्रा से जनता को जोड़ने के लिए उनके पास कितने आइडियाज हैं। उन्होंने कहा एक ही यात्रा क्यों निकले..? मुख्य यात्रा होगी लेकिन जगह-जगह से उपयात्राएं उसमें जुड़ेगी। अलख जगाते हुए, जागरण का मंत्र फूंकते हुए, भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए देश का हर हिस्सा क्यों ना जुड़े इस यात्रा से और तब उपयात्रा निकालने का निर्णय लिया गया जो मुख्य यात्रा से अलग-अलग स्थानों पर जुड़ेगी।
एक उप यात्रा निकालने का दायित्व मुझे भी मिला। जबलपुर, मंडला, मैहर, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर से होते हुए होशंगाबाद में मुख्य यात्रा से मिलनी थी। केसरिया विग्रह के संयोजक के नाते भी मैंने देशभर में उस समय दौरा किया था। और तब मैं आश्चर्य से देखता था दिन और रात मेहनत करते हुए मोदी जी को, समाज का हर वर्ग यात्रा से जुड़े इसके लिए नए-नए कार्यक्रम सुझाते और उनको क्रियान्वित करते। लाल चौक में तिरंगा झंडा लहराए, यात्रा पूरे देश को जगाती, जन जन यात्रा से जुड़ जाए इस संकल्प से भरे हुए वो दिखाई देते थे। आत्मविश्वास से भरे नरेंद्र मोदी जिद, जुनून और जज्बा उनकी आंखों में था, उत्साह से परिपूर्ण लेकिन धैर्य भी देखने लायक था। शांत और स्थिर चित्त, एक ही लक्ष्य चिड़िया की आंख की तरह श्रीनगर में लाल चौक पर झंडा फहराना है और इस यात्रा को जन आंदोलन बना देना है। देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान नहीं चलेंगे। पूरे देश का वातावरण बदल दिया, पंजाब में एकता यात्रा के पहले हमला भी हुआ केंद्र सरकार चिंतित थी, डॉक्टर जोशी जी अडिग थे।
मोदी जी उनके सारथी थे देशभक्ति का जुनून जगाते हुए यात्रा आगे बढ़ रही थी तब केंद्र सरकार ने अचानक तय किया कि एकता यात्रा के साथ भीड़ लाल चौक तक नहीं जाएगी। लाखों दीवाने, मस्ताने देशभक्ति के प्रेम में पागल कार्यकर्ता युवाओं का सैलाब उमर पड़ा जम्मू की धरती पर, मैं भी उस सैलाब में शामिल था, मुझे भी लाल चौक जाना था। बसों में बैठकर हम लोग जम्मू से चले, मुझे याद है रामबन के आसपास हम पहुंचे एकता यात्रा रोक दी गई और बाद में तय हुआ कि डॉक्टर जोशी जी, नरेन्द्र भाई शायद केवल पांच लोग जाएंगे। लोग उद्वित थे मोदी जी के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता कन्याकुमारी से ही यात्रा की व्यवस्थाओं में अलग-अलग कामों में दिन-रात जुटे हुए थे और जुनून एक ही था, संकल्प एक ही था। श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराएगा और हम तिरंगा फहराने के उस दृश्य के साक्षी बनेंगे। आतंकवाद को चुनौती देंगे। लेकिन जब यह तय हो गया कि कोई नहीं जाएगा, कई की आंखों में आंसू थे, लोग उद्वित थे, गुस्से में भी थे लेकिन पार्टी ने भी तय कर दिया की अब कोई आगे नहीं बढ़ेगा। मुझे अच्छी तरह याद है श्रीनगर के लाल चौक पर शान से तिरंगा झंडा फहराया गया मोदी जी सीना तान के गर्व के साथ भारत मां की जय का उद्घोष करते हुए डॉक्टर जोशी जी के साथ लाल चौक पर पहुंचे थे लेकिन जब लाल चौक से लौटकर आए तो जम्मू में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया जो लोग यात्रा में नहीं पहुंच पाए थे यात्रा को रोक देने के कारण नहीं पहुंच पाए थे वह भी सब जम्मू में उपस्थित थे।
जब मोदी जी बोले तो उन्होंने उल्लेख किया कि मेरे साथ सैकड़ों कार्यकर्ता इस यात्रा के संयोजन में अलग-अलग व्यवस्थाओं में दिन-रात जुटे थे
श्रीनगर के लाल चौक नहीं जा पाए । वो रातभर सोये नहीं बैठे-बैठे रातभर रोते रहे, गम एक ही था, दर्द एक ही था श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा झण्डा फहराने के साक्षी नहीं बने और यह कहते कहते मोदी जी का गला रुंध गया, वो भावुक हो गए और कार्यकर्ताओं की हृदय की व्यथा उनकी आँखों में से आंसू बनकर टपक पड़ी। सभा में हमने मोदी जी को लगभग रोते हुए देखा और तब लगा कि ऊपर से कठोर लगने वाला यह इंसान कितना नरम दिल है, कैसा संवेदनशील हृदय है सीने में। ऐसे एक नहीं अनेकों प्रसंग हैं संकल्प पूरा करने के लिए कठोर, दृढ़ संकल्पित किसी भी सीमा तक जाने वाले लेकिन हृदय से संवेदनशील, ऐसे हैं नरेन्द्र मोदी जी।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
