West Bengal

उच्च माध्यमिक प्रश्नपत्र को लेकर असंतोष, शिक्षा परिषद ने दिया आश्वासन

उच्च माध्यमिक प्रश्न पत्र को लेकर अभिभावकों में नाराजगी

कोलकाता, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) ।

पहली बार सेमेस्टर पद्धति के अंतर्गत आयोजित हो रही उच्च माध्यमिक परीक्षा में प्रश्नपत्रों की संख्या अधिक होने और समय सीमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विशेषकर गणित, भौतिकी और सांख्यिकी विषयों में प्रश्नपत्र अपेक्षाकृत लंबे होने से छात्रों और अभिभावकों के द्वारा असंतोष व्यक्त किया है।

उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष चिरंजीव भट्टाचार्य ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि कई परीक्षार्थी निर्धारित समय में पूरे प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाए। उन्होंने आश्वासन दिया है कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन किया जाएगा। साथ ही, भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए परिषद विशेष कदम उठाएगी। इस विषय पर बैठक बुलाने की भी घोषणा की गई है।

गणित की परीक्षा में कई छात्रों ने शिकायत की कि एक घंटे पन्द्रह मिनट में 40 प्रश्नों का उत्तर देना संभव नहीं था। कैलकुलेटर के उपयोग की अनुमति न होने और अलग से रफ कॉपी उपलब्ध न कराए जाने से भी कठिनाई बढ़ी। केवल प्रश्नपत्र के अंतिम तीन पन्ने रफ कार्य के लिए दिए गए थे ।

लवणहृद विद्यापीठ के छात्र अमित पॉयरा ने कहा है कि समय की कमी के कारण कई सवाल पूरे नहीं कर पाया। कुछ प्रश्नों के उत्तर अंदाज से लिखने पड़े और कैलकुलेटर न होने से गणनाओं में गलती भी हुई है। बेगम रुकैया स्कूल की छात्रा सृष्टि नाग का कहना था कि समय की कमी सबसे बड़ी समस्या रही। कई सवाल जानते हुए भी हल नहीं कर पाई। इसी प्रकार, छात्रा लिरिक महापात्र ने भी कहा कि भौतिकी और गणित दोनों परीक्षाओं में यही स्थिति रही। इतने कम समय में पूरा प्रश्नपत्र हल करना असंभव है।

वहीं,अभिभावकों ने भी परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं । उनका कहना है कि पहली बार लागू हुई इस पद्धति में छात्रों को प्रयोग का हिस्सा बना दिया गया है। परीक्षा केंद्र के बाहर खड़ी अभिभावक शिल्पा नंदी ने कहा है कि जो सवाल घर पर हल करने में तीन से चार मिनट लगते हैं, वही सवाल परीक्षा में एक मिनट में कैसे हल होंगे? बच्चों को नए पैटर्न के अनुसार ढलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है।

शिक्षा परिषद ने परीक्षाओं की समय-सीमा और प्रश्नपत्र की संरचना पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया है ताकि आगे चलकर छात्रों को ऐसी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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