
जयपुर, 3 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा,रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर सोमवार को दोपहर 12:25 मिनट पर होगी। इस दिन चंद्रोदय भी हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा का व्रत और पूजन 06 अक्टूबर सोमवार को ही किया जाएगा। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न,वस्त्र और धन का दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। शाम को 06:15 से रात्रि में 7:38 तक इसके बाद रात्रि में 10:41 से 12:12 तक श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ 16 कलाओं से परिपूर्ण चंद्र देव की पूजा करने का श्रेष्ठ मुहूर्त हैं। इस दिन माता लक्ष्मी को कमल का फूल और एकाक्षी नारियल अर्पित करें। रात्रि के समय चावल की खीर बनाकर उसे एक मिट्टी या चांदी के पात्र में भरकर खुले आसमान के नीचे छत या आंगन में चंद्रमा की रोशनी में रखें। रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी और चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें फिर अगली सुबह,स्नान आदि के बाद भगवान को उस खीर का भोग लगाएं और इसे प्रसाद स्वरूप पूरे परिवार के साथ ग्रहण करें।
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(Udaipur Kiran)
