
शिमला, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने प्रदेश सरकार द्वारा गठित ब्राह्मण कल्याण बोर्ड को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि जब राज्य प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है, तब 140 सदस्यीय बोर्ड का गठन एक अनुचित और फिजूल खर्ची भरा कदम है।
शांता कुमार ने साेमवार काे एक बयान में कहा कि “प्रदेश में हालात बेहद गंभीर हैं। सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं, हजारों बेघर हैं, और सरकार के पास राहत कार्यों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। ऐसे समय में इस प्रकार की घोषणा करना वैसा ही है जैसे किसी शोकाकुल परिवार में जन्मदिन मनाया जाए।”
शांताकुमार ने हैरानी जताई कि इस विषय पर प्रदेश के किसी भी राजनीतिक दल या नेता ने सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा, शायद सभी दलों ने सोचा होगा कि ब्राह्मण समाज की नाराजगी मोल नहीं ली जा सकती, इसलिए सबने चुप्पी साध ली।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राजनीति केवल वोट बैंक तक सीमित नहीं होनी चाहिए। “अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मूल्य-आधारित राजनीति का सपना देखा था, जो आज पूरी तरह से खो गया लगता है,” उन्होंने जोड़ा।
शांता कुमार ने यह भी कहा कि बोर्ड का गठन ऐसे समय में करना, जब प्रदेश आर्थिक और मानवीय संकट से जूझ रहा है, भारतीय राजनीति का एक काला अध्याय बन गया है।
उन्होंने विपक्ष के मौन पर भी सवाल उठाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक बताया और कहा कि वे अपनी बात स्पष्टता और ईमानदारी से रखने के लिए क्षमा मांगते हैं, लेकिन यह चुप रहना अब उचित नहीं है।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
