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पंचगनी सहित देश के सात प्राकृतिक स्थल यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की संभावित सूची में शामिल

पंचगनी में डेक्कन ट्रैप

नई दिल्ली, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । पंचगनी, नागाहिल ओफिओलाइट सहित देश के सात प्राकृतिक विरासत स्थलों को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की संभावित सूची में शामिल कर लिया गया है। इसके साथ ही इस संभावित सूची में भारत के विरासत स्थलों की संख्या 62 से बढ़कर 69 हो गई है।

अब भारत के पास यूनेस्को द्वारा विचाराधीन कुल 69 स्थल हैं, जिनमें 49 सांस्कृतिक, 17 प्राकृतिक और 3 मिश्रित विरासत स्थल शामिल हैं।

गुरुवार को जारी संस्कृति मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार यूनेस्को के प्रोटोकॉल के तहत प्रतिष्ठित विश्व विरासत सूची में नामांकित होने के लिए किसी भी स्थल का संभावित सूची में शामिल होना आवश्यक है।

संभावित सूची में शामिल हुए नए स्थलों में

महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर स्थित डेक्कन ट्रैप,कर्नाटक में सेंट मैरी द्वीप समूह, नागालैंड की नागा हिल ओफियोलाइट, आंध्र प्रदेश में एर्रा मट्टी डिब्बालु, आंध्र प्रदेश में तिरुमाला पहाड़ियों की प्राकृतिक विरास, केरल में वर्कला चट्टाने और मेघालय में मेघालय युग की गुफाएं शामिल है।

क्या हैं इन स्थलों की विशेषताएं–

महाराष्ट्र के पंचगनी और महाबलेश्वर स्थित डेक्कन ट्रैप- दुनिया के कुछ सर्वोत्तम संरक्षित और अध्ययन किए गए लावा प्रवाहों का घर, ये स्थल विशाल डेक्कन ट्रैप का हिस्सा हैं और उस कोयना वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित हैं जो पहले से ही यूनेस्को विश्व विरासत स्थल है।

कर्नाटक में सेंट मैरी द्वीप समूह की भूवैज्ञानिक विरासत: अपनी दुर्लभ स्तंभाकार बेसाल्टिक चट्टान संरचनाओं के लिए जाना जाने वाला, यह द्वीप समूह उत्तर क्रेटेशियस काल का है, जो लगभग 85 मिलियन वर्ष पूर्व का भूवैज्ञानिक चित्रण प्रस्तुत करता है।

मेघालय में मेघालय युग की गुफाएं: मेघालय की आश्चर्यजनक गुफा प्रणालियां, विशेष रूप से माव्लुह गुफा, होलोसीन युग में मेघालय युग के लिए वैश्विक संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य करती हैं, जो महत्वपूर्ण जलवायु और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों को दर्शाती हैं।

नागालैंड की नागा हिल ओफियोलाइट: ओफियोलाइट चट्टानों का एक दुर्लभ प्रदर्शन, ये पहाड़ियां महाद्वीपीय प्लेटों पर उभरी हुई महासागरीय परत का प्रतिनिधित्व करती हैं—जो टेक्टोनिक प्रक्रियाओं और मध्य-महासागरीय रिज की गतिशीलता की गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

आंध्र प्रदेश में एर्रा मट्टी डिब्बालु (लाल रेत की पहाड़ियां): विशाखापत्तनम के पास ये आकर्षक लाल रेत की संरचनाएं अद्वितीय पुरा-जलवायु और तटीय भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताओं को दर्शाती हैं जो पृथ्वी के जलवायु इतिहास और गतिशील विकास को प्रकट करती हैं।

आंध्र प्रदेश में तिरुमाला पहाड़ियों की प्राकृतिक विरासत: एपार्चियन नादुरुस्ती (अनकन्फॉर्मिटी) और प्रतिष्ठित सिलाथोरनम (प्राकृतिक मेहराब) की विशेषता वाला यह स्थल अत्यधिक भूवैज्ञानिक महत्व रखता है। यह पृथ्वी के 1.5 अरब वर्षों से अधिक के इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है।

केरल में वर्कला चट्टानें: केरल के समुद्र तट के किनारे स्थित सुंदर चट्टानें, प्राकृतिक झरनों और आकर्षक अपरदनकारी भू-आकृतियों के साथ, मायो-प्लियोसीन युग के वर्कल्ली संरचना को उजागर करती हैं, जो वैज्ञानिक और पर्यटन दोनों ही दृष्टि से मूल्यवान हैं।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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