
नैनीताल, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । कुमाऊं विश्वविद्यालय के ‘इक्विटी एंड इनक्लूसिविटी’ प्रकोष्ठ द्वारा पीएम उषा योजना के अंतर्गत ‘भारतीय संस्कृति में लैंगिक समता एवं समावेशन’ विषया पर एक दिवसीय संगोष्ठी बुधवार को आयोजित की गई।
मुख्य वक्ता रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली की प्रो. नीलम गुप्ता ने कहा कि जेंडर हमारी पहचान, रिश्तों और शक्ति का प्रतीक है, जबकि लिंग केवल जैविक संरचना पर आधारित होता है। उन्होंने सिमोन दी बोआर का उदाहरण देते हुए कहा कि “स्त्री पैदा नहीं होती, उसे बनाया जाता है” तथा भारतीय संस्कृति में स्त्री की महत्ता, संघर्ष और अधिकारों पर प्रकाश डाला। दूसरे मुख्य वक्ता सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के प्रो. एसडी शर्मा ने वेदों के आधार पर स्त्री और थर्ड जेंडर की भूमिका का उल्लेख करते हुए लैंगिक समता और समावेशन की सामाजिक-व्यावहारिक चुनौतियों पर प्रश्न उठाए और इसे समाज व शासन की असफलता बताया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीएस रावत ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दीं।
कार्यक्रम की संयोजक प्रो. चन्द्रकला रावत ने अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। संचालन सृष्टि गंगवार और निकिता ने किया।
द्वितीय सत्र में गत 26 अगस्त को ईआईसी द्वारा आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए गए। प्रथम स्थान हर्षित कुमार (बीएफए पंचम सेमेस्टर), द्वितीय स्थान वरुण प्रसाद (बीएफए पंचम सेमेस्टर), तृतीय स्थान आशना नेगी (बीएससी फॉरेस्ट्री प्रथम सेमेस्टर) तथा सांत्वना पुरस्कार श्रेया बौथियाल (बीएससी बायोलॉजी) को मिले। प्रो. हरिप्रिया पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर डीएसबी परिसर की निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, प्रो. हरिप्रिया पाठक, प्रो. शुचि बिष्ट, प्रो. शिरीष मौर्य, प्रो. डीएस बिष्ट, डॉ. सुरेश पांडे, डॉ. जया तिवारी, डॉ. शुभा मटियानी, डॉ. शशि पांडे, डॉ. दीक्षा मेहरा, डॉ. कंचन आर्या, डॉ. ललित मोहन सहित अनेक शोधार्थी, अध्यापक व प्रतिभागी मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी
