Madhya Pradesh

चित्रकूट में दीपावली मेले में मंदाकिनी नदी में डूबते दंपति को एसडीईआरएफ के जवानों ने बचाया

मंदाकिनी में डूबते पति-पत्नी को एसडीईआरएफ जवानों ने बचाया

भोपाल, 21 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के धार्मिक नगर चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन मंगलवार की सुबह एक बड़ा हादसा टल गया। मंदाकिनी नदी के घाट पर स्नान के दौरान एक दंपति को गहरे पानी में जा डूबे, लेकिन मौके पर मौजूद राज्य आपदा आपातकालीन प्रतिक्रिया

बल (एसडीईआरएफ) की टीम ने अपनी सूझबूझ और तत्परता से दोनों की जान बचा ली। अगर कुछ क्षण की भी देरी होती, तो यह खुशियों का पर्व मातम में बदल सकता था।

घटना मंगलवार सुबह लगभग 7 बजकर 10 मिनट की है। दीपावली के मौके पर चित्रकूट में पारंपरिक दीपावली मेला लगा हुआ है, जहां हजारों श्रद्धालु मंदाकिनी नदी में स्नान कर पुण्य लाभ लेने पहुंच रहे हैं। इन्हीं श्रद्धालुओं में एक दंपति भी स्नान कर रहा था। स्नान करते हुए अचानक पति का पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चला गया। पति को डूबते देख उसकी पत्नी ने बिना कुछ सोचे-समझे पानी में छलांग लगा दी और दोनों ही तेज बहाव में फंस गए।

इसी दौरान घाट पर ड्यूटी पर तैनात एसडीईआरएफ जवान चंदू बहुनिया ने भी बिना किसी झिझक के तुरंत पानी में छलांग लगा दी। उन्होंने डूबते दंपति तक पहुंचने का भरसक प्रयास किया। तभी बोट पर तैनात एसडीईआरएफ जवान विनय कुमार और होमगार्ड प्रकाश पटेल भी तत्काल अपनी बोट लेकर मौके पर पहुंचे। तीनों ने मिलकर कड़ी मशक्कत के बाद पति-पत्नी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

इस साहसिक बचाव अभियान के बाद दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया, जिसके बाद उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। मौके पर मौजूद श्रद्धालुओं और स्थानीय प्रशासन ने एसडीईआरएफ टीम की तत्परता और साहस की सराहना की। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि अगर जवान कुछ क्षण देर करते, तो यह दीपावली एक परिवार के लिए कभी न भूलने वाला दर्द बन जाती।

इस घटना के बाद मेले में मौजूद लोगों ने राहत की सांस ली। लोगों ने कहा कि एसडीईआरएफ जैसी टीमें ही त्योहारों के दौरान सुरक्षा की असली गारंटी हैं। स्थानीय प्रशासन ने भी जवानों के इस साहसिक कार्य के लिए उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की है।

हालांकि मध्य प्रदेश शासन ने मेले के सुचारू संचालन और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। घाटों पर सुरक्षा बल, गोताखोर दल और मेडिकल टीमें लगातार मुस्तैद हैं। इसके बावजूद सुबह की यह घटना यह याद दिला गई कि थोड़ी सी असावधानी कभी-कभी कितनी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

दीपावली मेला: भक्ति, आस्था और उल्लास का संगम

चित्रकूट की पवित्र भूमि, जहां मंदाकिनी की शांत लहरें भगवान राम के वनवास की स्मृतियों को जीवित रखती हैं, इस समय दीपावली मेले की रौनक में नहाई हुई है। 18 अक्टूबर से शुरू हुआ 5 दिवसीय दीपावली मेला इस बार भक्तिभाव और सांस्कृतिक रंगों का अद्भुत संगम बन गया है।

हर शाम मंदाकिनी घाटों पर दीपों की कतारें झिलमिलाती हैं, तो वहीं कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। पूरा चित्रकूट रात के समय रोशनी की चादर ओढ़ लेता है। मोहकमगढ़ का भव्य प्रवेश द्वार, हनुमानधारा का जगमगाता पुल, और अक्षयवट का आलोकित तोरण मानो दिव्यता की मूर्तियां बनकर पर्यटकों का स्वागत कर रहे हैं।

रात के समय जब मंदाकिनी के घाटों पर रंगीन लाइटें और दीयों की श्रृंखला झिलमिलाती हैं, तो पूरा शहर एक जीवंत चित्र की तरह नजर आता है। श्रद्धालु दीपदान करते हुए भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की स्मृतियों को नमन करते हैं। चौराहों की भव्य सजावट, बाजारों में उत्सवी चहल-पहल और पारंपरिक गीत-संगीत की मधुर गूंज इस मेले को एक अद्वितीय अनुभव बना रही है।हर ओर श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का वातावरण है। पर्यटक यहां न केवल धार्मिक आस्था के लिए बल्कि चित्रकूट की दिव्य सुंदरता और लोक संस्कृति का अनुभव करने के लिए भी पहुंच रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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