
गोरखपुर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के एक समर्पित शोधकर्ता डॉ. आनंद रत्नम ने अपने आविष्कार एक मिश्रित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष पाइरीडीन-क्रियाशील इमिडाज़ोलियम लवण (एनएचसी लिगैंड), और इसकी तैयारी की विधि के लिए पेटेंट प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
यह पेटेंट डीडीयू, गोरखपुर विश्वविद्यालय में पूरी तरह से डिज़ाइन और संश्लेषित एक नए और परिष्कृत लिगैंड को सुरक्षित करता है। यह विशेष आविष्कार, एक अद्वितीय पाइरीडीन- क्रियाशील संरचना वाला एन-हेटेरोसाइक्लिक कार्बीन (एनएचसी) लिगैंड, अत्यधिक कुशल और स्थिर उत्प्रेरक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
डॉ. रत्नम के कार्य का महत्व दवा और कृषि-रसायन उद्योगों में उपयोग की जाने वाली उत्प्रेरक प्रक्रियाओं में क्रांति लाने की इसकी क्षमता में निहित है। इस लिगैंड के निर्माण की यह नवीन विधि, प्रतिक्रियाओं को तेज़, अधिक चयनात्मक और कम अपव्ययकारी बनाकर नई दवाओं, उन्नत सामग्रियों और अधिक टिकाऊ रासायनिक निर्माण प्रक्रियाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस गौरवपूर्ण अवसर पर, विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन, रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. यू.एन. त्रिपाठी, प्रो. सुधा यादव और विभाग के अन्य सम्मानित प्राध्यापकों ने डॉ. रत्नम को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने उनके समर्पण और अग्रणी कार्य की प्रशंसा की, जो डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय में पनप रहे विश्वस्तरीय शोध वातावरण और नवोन्मेषी भावना को रेखांकित करता है।
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(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
