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भारतीय संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म का सदैव से रहा है संतुलन: राज्यपाल

राज्यपाल संबोधित करते हुए

हरिद्वार, 16 सितंबर (हि .स.)। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि एआई केवल एक तकनीकी साधन नहीं, बल्कि सही दिशा में यदि उपयोग किया जाए तो यह मानवता के कल्याण का सशक्त माध्यम बन सकता है।

राज्यपाल सिंह यहां देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित एआई : फेथ व फ्यूचर अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन सदैव से रहा है। अब समय आ गया है कि हम एआई को केवल तकनीकी दृष्टि से न देखकर, इसे आध्यात्मिक मूल्यों के साथ जोड़ें और मानव कल्याण के लिए प्रयोग करें। राज्यपाल ने कहा कि आने वाले समय में एआई का प्रयोग शिक्षा, चिकित्सा और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में बड़े स्तर पर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इसे नैतिकता, करुणा और सेवा भावना के साथ जोड़ा जाए। राज्यपाल ने आशा व्यक्त कि वर्ष 2027 तक भारत आत्मनिर्भर, विकसित और विश्वगुरु बनने जा रहा है। तब तक हमें रुकना नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि एआई से मानवता को लाभ होना चाहिए, तभी इसका आविष्कार सार्थक होगा।

देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने एआई के अध्यात्मिक मूल्यों की अवधारणा पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि एआई को भस्मासुर होने से बचाना होगा। इस असवर पर स्विट्जरलैण्ड, अमेरिका सहित 20 देशों से आये एआई विशेषज्ञों ने भी अपने-अपने विचार रखे। समारोह में देश-विदेश के वैज्ञानिक, आध्यात्मिक धर्मगुरुओं, शिक्षाविदों और छात्रों ने भाग लिया। युवा आइकॉन ने राज्यपाल जी को रुद्राक्ष माला, गायत्री महामंत्र लिखित चादर आदि भेंटकर सम्मानित किया। सायंकाल प्रतिभागियों ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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