HimachalPradesh

अनुसूचित जाति आयोग ने चिडग़ांव प्रकरण पर जताई नाराज़गी, पुलिस को दिए सख्त निर्देश

अनुसूचित जाति आयोग की बैठक

शिमला, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार ने मंगलवार को आयोग के अन्य सदस्यों के साथ पुलिस मुख्यालय शिमला का दौरा किया। यह दौरा जिला शिमला के रोहड़ू उपमण्डल के चिडग़ांव क्षेत्र के लिम्बरा गांव के उस दुखद प्रकरण से जुड़ा था, जिसमें अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले 12 वर्षीय बालक ने आत्महत्या कर ली थी।

इस मामले को लेकर आयोग की इससे पहले 1 अक्तूबर को बैठक हो चुकी थी। आज की बैठक में आयोग की अध्यक्ष ने पुलिस मुख्यालय से इस मामले से संबंधित विभिन्न रिपोर्टें और दस्तावेज मांगे, जिन्हें पुलिस विभाग ने आयोग को सौंपा। बैठक के दौरान आयोग को अब तक की गई जांच और प्रगति के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया।

जानकारी अनुसार आयोग के अध्यक्ष ने इस मामले में शिमला पुलिस की कार्यप्रणाली पर असंतोष जाहिर किया और पुलिस अधिकारियों को आयोग द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने आयोग को भरोसा दिलाया कि इस प्रकरण से संबंधित सभी प्रावधानों को पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए विशेष सतर्कता बरती जाएगी।

गौरतलब है कि 16 सितम्बर को चिड़गांव क्षेत्र के गांव लिम्ब्डा में अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले 12 वर्षीय बच्चे ने कथित रूप से जातिगत भेदभाव और प्रताड़ना से आहत होकर जहरीला पदार्थ खा लिया था। परिजन उसे गंभीर हालत में आईजीएमसी शिमला लेकर गए, लेकिन 17 सितम्बर की रात उसकी मौत हो गई। बाद में बच्चे की मां ने पुलिस को बयान दिया कि गांव की तीन महिलाओं ने उसे जातिगत आधार पर पीटा और गौशाला में बंद कर दिया था। आरोप है कि महिला ने शुद्धि के नाम पर बच्चे के परिवार से बकरे की मांग भी की थी।

इस अपमान और प्रताड़ना से आहत होकर बच्चे ने जहर खा लिया था। पुलिस ने शुरुआत में बीएनएस की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था, लेकिन बाद में जातिगत उत्पीड़न के पहलू सामने आने पर 26 सितम्बर को एट्रिसिटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ी गईं।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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