शिमला, 27 जून (Udaipur Kiran) । ऊना से विधायक व पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में अफसरशाही बेलगाम हो गई है और भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि धर्मशाला में तैनात सहायक दवा नियंत्रक निशांत सरीन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई ने सरकार की पोल खोल दी है।
सत्ती ने आरोप लगाया कि ईडी को सरीन, उनके परिवार और सहयोगियों के ठिकानों से कई अहम दस्तावेज, बैंक खाते, महंगी कारें, एफडी, शराब की बोतलें और अन्य संपत्तियां मिली हैं, जो गंभीर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि पंचकूला की एक दवा कंपनी में सरीन की पत्नी की 95 फ़ीसदी हिस्सेदारी है। वहीं उनके पास 40 से अधिक बैंक खाते, तीन लग्जरी गाड़ियां और 3 लॉकर हैं। यह सब भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा, चंबा और ऊना के दवा विक्रेताओं से सरीन 50-50 हजार रुपये लाइसेंस रिन्यू के नाम पर वसूलता था। जब कुछ दुकानदारों ने विरोध किया तो सरीन ने खुद कबूल किया कि उसने यह पद पाने के लिए 30 लाख रुपये खर्च किए हैं और हर महीने 10 लाख रुपये “ऊना और शिमला” भेजता है।
सत्ती ने सरकार से सवाल पूछा कि आखिर वह कौन कांग्रेस नेता है जिसने 30 लाख रुपये लिए और वे कौन लोग हैं जिन्हें हर महीने 5-5 लाख रुपये दिए जाते हैं? उन्होंने कहा कि उन्होंने इस गंभीर मामले को विधानसभा में भी उठाया था, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार खुद भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है।
उन्होंने उच्च न्यायालय के 2013 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी संवेदनशील पद पर ऐसे अधिकारी को तैनात नहीं किया जा सकता जिसकी ईमानदारी पर संदेह हो। लेकिन सरकार ने अदालत के निर्देशों की अनदेखी करते हुए भ्रष्ट अफसर को पद पर बनाए रखा।
सत्ती ने यह भी कहा कि भ्रष्ट अफसरों की वजह से हिमाचल में बनने वाली दवाओं की साख गिर रही है और बार-बार सैंपल फेल हो रहे हैं। उन्होंने विमल नेगी प्रकरण का जिक्र करते हुए कहा कि उस मामले में भी सरकार की भारी फजीहत हुई और संबंधित अफसरों को छुट्टी पर भेजना पड़ा।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
