
नई दिल्ली, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग और पंजाबी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस के उपलक्ष्य में ‘सर्व धर्म सम्मेलन’ का आयोजन आईसीएआर कन्वेंशन सेंटर पूसा कैंपस नई दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मों के संत-आचार्यों ने मंच साझा किया और गुरु तेग बहादुर जी के अद्वितीय बलिदान को याद करते हुए मानवता, एकता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश दिया। कार्यक्रम में कला, संस्कृति और भाषा मंत्री कपिल मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम के दौरान कपिल मिश्रा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी और उनके साथियों भाई मती दास जी, भाई सती दास जी, भाई दयाला जी के बलिदान के साढ़े तीन सौ साल पूरे हो रहे हैं और इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने निर्णय लिया है कि दिल्ली सरकार इसको एक अविस्मरणीय आयोजन के रूप में स्थापित करेगी। आज से इन कार्यक्रमों की शुरुआत हो रही है और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के साथ मिलकर ‘सर्व धर्म सम्मेलन’ का आयोजन किया गया है।
उन्होंने कहा कि आने वाले तीन-चार महीने तक लगातार गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित होंगे। उनका बलिदान विश्व के इतिहास में कभी न भूलने वाला बलिदान है। नवंबर महीने में एक और बड़ा तीन दिवसीय आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान केवल सिख इतिहास का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता का प्रेरणास्रोत है। यह आयोजन हमें एकता, सहिष्णुता और परस्पर सम्मान का संदेश देता है। दिल्ली सरकार का प्रयास है कि इस स्मरणोत्सव के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक गुरु जी के विचार और बलिदान की गूंज पहुंचे।
दिल्ली सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में इस नवंबर में श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ का भव्य आयोजन करने जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि हर तैयारी बैठक में वरिष्ठ समुदाय सदस्यों को शामिल किया जाएगा और उन्होंने स्वयं कई प्रमुख बैठकों की अध्यक्षता की है, ताकि श्रद्धांजलि सच्चे मन से और प्रामाणिक हो। उन्होंने कहा कि मंच पर विभिन्न धर्मों के प्रतिष्ठित संत-आचार्यों और विद्वानों की उपस्थिति ने इस सम्मेलन को अद्वितीय बना दिया। सभी संतों और गणमान्य अतिथियों ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को मानव सभ्यता के इतिहास में अद्वितीय बताया। उनका कहना था कि ऐसा बलिदान न तो पहले कभी देखा गया और न भविष्य में कभी उसका दूसरा उदाहरण मिलेगा।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
