
मीरजापुर, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में विंध्याचल के महुआरी कला स्थित सप्तसागर मेले में गुरुवार को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। भोर से देर शाम तक नर-नारी और बच्चों ने भगवान गणेश के भव्य स्वरूप का दर्शन-पूजन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। मंदिर परिसर घंटा-घड़ियाल, शंखनाद और गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंजता रहा।
मंदिर को इस अवसर पर दुल्हन की तरह सजाया गया था। भगवान गणेश का श्रृंगार फूल-पत्तियों से सुंदर छटा बिखेर रहा था। दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मेला परिसर में लगी दुकानों से खिलौने, खाने-पीने की वस्तुएं और घरेलू सामान की खूब खरीदारी की। पूरा दिन मेले में रौनक बनी रही।
महंत तेजन गिरी और शिखर गिरी ने बताया कि क्वार मास की चतुर्थी को लगने वाला यह मेला गणेश उत्सव के समापन का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन गणेश दर्शन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यहाँ विराजमान गणेश जी की मूर्ति जनपद की सबसे प्राचीन और विशाल प्रतिमाओं में गिनी जाती है, जिसका संबंध महाभारत काल से माना जाता है। कहा जाता है कि पांडवों ने भी इसी स्थान पर गणेश पूजन कर अपनी यात्रा का शुभारंभ किया था।
पितृपक्ष में गणेश पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस समय पूजा-अर्चना करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। मेले में आए भक्तों ने सप्तसागर में स्नान कर तर्पण किया। पितरों को श्रद्धांजलि दी।
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का संगम बन चुका सप्तसागर मेला विंध्याचल क्षेत्र की सनातन परंपराओं का जीवंत प्रमाण है। हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
—————
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
