RAJASTHAN

राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के पूर्ति के लिए खर्च नहीं होगा सांवलियाजी का भंडार, लगाई स्थाई रोक

सांवलियाजी मंदिर में आने वाले चढ़ावा राशि को लेकर न्यायालय का आदेश।

चित्तौड़गढ़, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलियाजी की महिमा लगातार बढ़ती जा रही है और हर माह करीब 25 करोड़ रुपये की राशि भंडार से निकलती है। जैसे-जैसे सांवलियाजी के भंडार की राशि में वृद्धि हो रही है वैसे ही इस राशि पर राजनेताओं और विभिन्न संस्थाओं की नजर है। सांवलियाजी भंडार की राशि के हो रहे दुरूपयोग पर स्थाई रूप से रोक लगाने के लिए वर्ष 2018 में मंडफिया सिविल न्यायालय में वाद दायर किया गया था। इस पर निर्णय सुनाते हुए चढ़ावे की राशि को अब मनमाने तरीके से बोर्ड के प्रावधानों के विपरित बाहरी क्षेत्रों में खर्च करने पर न्यायालय ने राेक लगा दी है।

अधिवक्ता उमेश आगार ने बताया कि मंडफिया के सिविल न्यायाधीश विकास कुमार ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इसके बाद अब मंदिर मंडल फैसले को लेकर पाबंद है। गौरतलब है कि सांवलिया जी के भंडार की 18 करोड़ रुपये की राशि मुख्यमंत्री बजट घोषणा की पूर्ति के लिए स्वीकृत की गई थी। इसी दौरान मंडफिया न्यायालय में एक जनहित वाद दायर किया गया था। न्यायालय में प्रार्थी मदन जैन, कैलाशचन्द्र डाड, श्रवण तिवारी, शीतल डाड सहित अन्य लोगों ने एक वाद मंडफिया न्यायालय में प्रस्तुत किया। इसमें बताया कि सांवलियाजी में करोड़ाें की राशि भक्तों द्वारा चढ़ाई जाती है। इस राशि का मंदिर मंडल द्वारा मनमाने तरीके से दुरूपयोग किया जा रहा है। इसे लेकर स्थानीय निवासियों और भक्तों ने रोक के लिए ज्ञापन आदि देकर कई प्रयास किए। लेकिन राजनीतिक दबाव और निजी हितों के चलते मंदिर मंडल की और भक्तों की ओर से चढ़ाई गई राशि का दुरूपयोग किया जा रहा था। वादीगणों ने सांवलियाजी मंदिर मंडल द्वारा मातृकुंडिया तीर्थस्थल विकास के लिए राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप 18 करोड़ की राशि जारी करने का प्रस्ताव लिया गया था, लेकिन वाद दायर होने के बाद न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए अस्थाई निषेधाज्ञा जारी की थी। वहीं मंदिर मंडल के अधिनियम 1992 की धारा 28 के प्रावधानों के प्रतिकूल होने पर इसे निरस्त किया गया है। वहीं सांवलिया मंदिर मंडल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और अध्यक्ष को स्थाई निषेधाज्ञा से पाबंद किया गया है कि वे इस प्रस्ताव के अनुसरण में कोई राशि जारी नहीं करे। वहीं न्यायालय ने आदेश जारी किया कि सांवलिया मंदिर बोर्ड सांवलिया मंदिर मंडल अधिनियम 1992 की धारा 28 में वर्णित प्रावधानों से परे जाकर मंदिर निधि का किसी भी प्रकार से किसी भी रूप में दुरूपयोग नहीं करें।

श्रद्धालुओं की सुविधाओं का किया था उल्लेख

मंदिर मंडल की और से बोेर्ड के प्रावधानों के विपरित भक्तों द्वारा चढ़ाई गई राशि का दुरूपयोग करने के मामले में दायर किए वाद में वादीगणों ने कहा कि मंदिर और आस-पास के गांवों में व्यवस्थाओं नितांत अभाव है। उन्होंने इसमें दर्शनार्थियों के लिए निशुल्क भोजनशाला, पार्किंग, शौचालय, पेयजल, चिकित्सा सेवा आदि का उल्लेख करते हुए कहा कि इन मूलभुत सुविधाओं की लम्बे समय से मांग चल रही है। वहीं एक उच्च स्तरीय अस्पताल, विद्यालय, लाइब्रेरी और पार्क जैसी सुविधाओं के लिए भी स्थानीय लोग प्रयासरत थे। वादीगण ने कहा कि मंदिर मंडल की और से बाहरी क्षेत्र में राजनीतिक लाभ के लिए इस प्रकार की राशि जारी की जा रही है।

मंदिर का भंडार नहीं है सरकार की सम्पत्ति

न्यायालय ने अपने निर्णय में 5 विवादक बिन्दुओं का उल्लेख किया है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा कि है कि सांवलियाजी मंदिर मंडल की सम्पत्ति सरकार का खजाना नहीं होकर मंदिर के देवता की सम्पत्ति है और इसका उपयोग किसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए नहीं किया जा सकता है। मंदिर मंडल की और यदि मंदिर की सम्पत्ति का दुरूपयोग किया जाता है तो यह व्यक्तिगत जिम्मेदारी का कृत्य होते हुए आपराधिक न्याय भंग के अपराध का गठन करता है।

फैसले के होंगे दूरगामी परिणाम

सांवलिया मंदिर मंडल के विरूद्ध दायर किए इस वाद की पैरवी करने वाले अधिवक्ता उमेश आगर ने कहा कि न्यायालय के इस फैसले से दूरगामी परिणाम होंगे और इस प्रकार के मंदिर निधि के दुरूपयोग किए जाने पर न्यायालय के आदेश की अवमानना का मामला दर्ज कराया जा सकेगा।

गोशालाओं के लिए मांगा था अनुदान

इधर, जानकारी में सामने आया कि कुछ दिनों पूर्व सांवलियाजी मंदिर के भंडार से जिले की विभिन्न गोशालाओं के लिए कई संस्थाओं और विभिन्न धर्मगुरुओं सहित भाजपा नेताओं ने फंड की मांग की थी। इसे लेकर बड़ी संख्या में गोशाला संचालक व अन्य एकत्र होकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा था। वहीं इससे पहले कांग्रेस शासन में देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत ने क्षेत्र की गोशाला में भी राशि ले जाने का प्रयास किया था लेकिन विरोध के चलते यह राशि नहीं गई थी। अब इस निर्णय के बाद ऐसे सभी प्रयासों पर रोक लग गई है।

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(Udaipur Kiran) / अखिल