West Bengal

आरजी कर दुष्कर्म मामले के दोषी संजय रॉय जेल में भी मचा रहा उत्पात

संजय राय

कोलकाता, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) ।

पिछले वर्ष अगस्त में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के दोषी सिविक वॉलिंटियर संजय रॉय की जेल में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वह जेल में भी लगातार उत्पात मचा रहा है और कोई भी नियम नहीं मान रहा। यहां तक कि सहकैदियों और जेल पदाधिकारी के साथ भी दुर्व्यवहार कर रहा है। जेल अधिकारियों के आदेशों की लगातार अवहेलना और दुर्व्यवहार की शिकायतों के बाद उसके खिलाफ जेल मैनुअल के तहत दंडात्मक कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

संजय रॉय को पिछले वर्ष एक निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वह दक्षिण कोलकाता स्थित प्रेसिडेंसी सेंट्रल करेक्शनल होम में सात महीने से सजा काट रहा है। जेल सूत्रों के अनुसार, इस अवधि में उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया है, बल्कि समय के साथ उसके साथी कैदियों और जेल कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और नियम उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं।

शुरुआत में उसे जेल परिसर के बागवानी कार्य की जिम्मेदारी दी गई थी और वह नियमों का पालन कर रहा था लेकिन कुछ समय बाद उसने काम में लापरवाही शुरू कर दी और उसके व्यवहार में आक्रामकता बढ़ गई। जेल अधिकारियों का कहना है कि लगातार दुर्व्यवहार और आदेश न मानने की सूरत में उसकी जेल के भीतर कमाई गई दैनिक मजदूरी को खर्च करने की अनुमति रोकी जा सकती है। यह रकम जमा तो होती रहेगी, लेकिन वह उसे निकाल या खर्च नहीं कर पाएगा।

इस मामले पर सुधार सेवाओं के एडीजी एवं आईजी एल. एन. मीणा से संपर्क नहीं हो सका। वहीं, संजय रॉय के वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है और वह केवल उनके हाई कोर्ट में दायर बरी याचिका में पक्ष रख रहे हैं।

मनोवैज्ञानिक और ग्राफोलॉजिस्ट डॉ. रजनीता साहा मुखोपाध्याय के अनुसार, रॉय का यह व्यवहार अपराध स्वीकार न करने और खुद को निर्दोष मानने की मानसिकता का परिणाम हो सकता है। यह निराशा, गुस्से और कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक तरह का विरोध भी दरसा सकता है। उन्होंने बताया कि यह स्थिति संज्ञानात्मक असंगति और रक्षात्मक मनोवृत्ति से जुड़ी हो सकती है, साथ ही इसमें असामाजिक व्यक्तित्व के लक्षण भी झलकते हैं।

उधर, पीड़िता के परिजनों ने नौ अगस्त को उसकी पहली पुण्यतिथि पर न्याय की मांग को लेकर ‘नवान्न अभियान’ (राज्य सचिवालय मार्च) का आह्वान किया है। पीड़िता का शव पिछले वर्ष नौ अगस्त की सुबह अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद हुआ था। हालांकि ट्रायल कोर्ट द्वारा रॉय को सजा सुनाए जाने के बावजूद, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो अभी तक इस अपराध के पीछे की ‘बड़ी साजिश’ की जांच पूरी नहीं कर सका है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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