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संघ केवल एक संगठन नहीं, राष्ट्रनिर्माण की पाठशाला : शेखावत

शेखावत केंद्रीय मंत्री

– केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बोले, संघ की स्थापना जिस पवित्र संकल्प के साथ हुई थी, शताब्दी वर्ष में वह और भी प्रासंगिक हो उठा

जोधपुर, 5 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण की वह पाठशाला है, जिसने व्यक्ति से लेकर समाज और समाज से लेकर राष्ट्र तक के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है। संघ की स्थापना जिस पवित्र संकल्प के साथ हुई थी, वह आज शताब्दी वर्ष में और भी प्रासंगिक हो उठा है। यह आत्मावलोकन का समय है कि हम उस लक्ष्य के कितने करीब पहुंचे हैं और अब हमें किस गति से आगे बढ़ना है।

रविवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि परम पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने जब वर्ष 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की, तब कुछ गिने-चुने लोगों ने यह प्रण लिया था कि गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत को फिर से एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया जाएगा। संकल्प की शक्ति, लक्ष्य की पवित्रता और सन्मार्ग की सुनिश्चितता, इन तीनों ने मिलकर संघ को आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन बना दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संघ की दृष्टि सदैव स्पष्ट रही है। व्यक्ति के निर्माण से परिवार, परिवार से समाज, समाज से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्वकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि आज देश में करोड़ों स्वयंसेवक राष्ट्रहित में एक जैसी सोच, संवेदना और कर्म से कार्य कर रहे हैं, यही संघ की असली शक्ति है।

अब कभी नहीं होगा भारत का अहित, क्योंकि…

अपने छात्र जीवन की एक घटना को याद करते हुए शेखावत ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित छात्र नेताओं के सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने कहा था, “अब भारत का कभी अहित नहीं होगा, न उसका विभाजन संभव होगा, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक जैसी सोच रखने वाले करोड़ों देशभक्तों की फौज तैयार कर दी है।” शेखावत ने कहा कि यह कथन स्वयं संघ के अनुशासन, राष्ट्रनिष्ठा और सामाजिक एकता की सबसे बड़ी स्वीकारोक्ति थी।

ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण

संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर सरकार द्वारा जारी विशेष स्मृति सिक्के और डाक टिकट का उल्लेख करते हुए शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पहली बार भारत के सिक्के पर मां भारती की प्रतिकृति उकेरी गई है। उन्होंने इसे एक “ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण” बताया। शेखावत ने कहा कि यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मावलोकन का अवसर है। संघ के शताब्दी वर्ष में हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि राष्ट्रनिर्माण के उस मूल उद्देश्य को और गति व समर्पण के साथ आगे बढ़ाएं, जिसके लिए यह संगठन खड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक जिस पवित्र भावना के साथ सेवा कार्यों में लगे हैं, वही भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में सबसे बड़ी शक्ति है।

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(Udaipur Kiran)

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