नाहन, 09 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में विभिन्न वर्गों के शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसे लेकर जहां एक ओर सराहना हो रही है, वहीं शारीरिक शिक्षकों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले पांच वर्षों से न तो भर्ती हुई है और न ही पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की गई है। शारीरिक शिक्षक संघ के अनुसा, वर्तमान में प्रदेश के लगभग 200 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जबकि 400 से अधिक स्कूलों में डीपीई (शारीरिक शिक्षा शिक्षक) के पद स्वीकृत ही नहीं हैं। यानी कुल 600 से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहाँ छात्रों को शारीरिक शिक्षा का कोई अवसर ही नहीं मिल रहा।
संघ का कहना है कि इस स्थिति से उन छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है, जो खेलों में रुचि रखते हैं या शारीरिक शिक्षा विषय लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति 2020 में भी प्रत्येक विद्यालय में शारीरिक शिक्षक की अनिवार्यता को स्पष्ट किया गया है ताकि युवाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके और नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रखा जा सके।
इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार काे शारीरिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार से नाहन में मुलाकात की। उपाध्यक्ष ने उनकी मांगों को गंभीरता से सुनते हुए आश्वासन दिया कि यह मामला सरकार और शिक्षा विभाग के समक्ष रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में खेल और शारीरिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है। सरकार इस दिशा में गंभीर है और जल्द ही इस विषय पर उचित कदम उठाएगी।
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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर
