Uttar Pradesh

बनारस रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में बिना क्यूआर कोड वाले आईडी कार्ड के वेंडर नहीं बेच पाएंगे समोसा,चाय

बनारस रेलवे स्टेशन पर वेंडरों को क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र देते डीआरएम

— स्टेशन बना देश का पहला स्टेशन जहां लागू हुआ नया सिस्टम

वाराणसी, 13 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद स्थित बनारस रेलवे स्टेशन (मंडुवाडीह) पर अवैध वेंडिंग पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। भारतीय रेलवे का ये पहला ऐसा स्टेशन बन गया है, जहां बिना क्यूआर कोड वाले मानकीकृत आईडी कार्ड के कोई भी वेंडर ट्रेनों में चाय, समोसा या अन्य खाद्य सामग्री नहीं बेच सकेगा। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) आशीष जैन ने बुधवार को स्टेशन पर कार्यरत 38 वेंडरों को क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शेख रहमान, मंडल वाणिज्य प्रबंधक रमेश पाण्डेय, सहायक वाणिज्य प्रबंधक डी.के. सिंह सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

—क्या है यह नया सिस्टम?

इस नई व्यवस्था के तहत वेंडरों को एक मानकीकृत (स्टैंडर्डाइज्ड) पहचान पत्र दिया जा रहा है, जिसमें एक क्यूआर कोड भी शामिल होगा। इस कोड को स्कैन करने पर वेंडर की पूरी जानकारी जैसे नाम, आधार संख्या, मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र, पुलिस सत्यापन तिथि, तैनाती इकाई और संबंधित लाइसेंसधारक की जानकारी मिल सकेगी। रेलवे बोर्ड ने यह निर्देश देशभर के सभी जोनल महाप्रबंधकों को जारी किया है, जिसके तहत उनके अधीन आने वाले सभी स्टेशनों और ट्रेनों में कार्यरत अधिकृत विक्रेताओं, सहायकों, वेंडरों और कर्मचारियों को यह आईडी कार्ड जारी किए जाएंगे।

बताते चले बनारस स्टेशन और वाराणसी मंडल के अन्य स्टेशनों पर अवैध वेंडिंग की शिकायतें बढ़ती जा रही थीं। खानपान की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे थे। ऐसे में रेलवे ने न केवल गुणवत्ता नियंत्रण, बल्कि सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह तकनीकी पहल शुरू की है। अब बिना आईडी कार्ड के स्टेशन या ट्रेन में कोई भी सामान नहीं बेच पाएगा। रेलवे प्रशासन के अनुसार यह कदम खानपान व्यवस्था में सुधार, अवैध वेंडिंग पर रोक और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

—अवैध वेंडरों पर कैसे लगेगा लगाम

बनारस रेलवे स्टेशन के प्रत्येक वेंडर का रिकॉर्ड संबंधित स्टेशन के रजिस्टर में दर्ज होगा। पहचान पत्र केवल स्वीकृत पदों की संख्या के अनुसार ही जारी किए जाएंगे। यदि कोई वेंडर या सहायक नौकरी छोड़ता है, तो उसे आईडी कार्ड वापस करना होगा। पहचान पत्र स्टेशन अधीक्षक, स्टेशन प्रबंधक या इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) के अधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर से ही वैध होंगे। माना जा रहा है कि बनारस स्टेशन पर लागू हुआ यह सिस्टम देशभर के रेलवे स्टेशनों के लिए एक मॉडल बन सकता है। इससे न केवल अवैध वेंडिंग पर लगाम लगेगी, बल्कि यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित खानपान सुविधा भी मिल सकेगी।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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