Uttar Pradesh

यूनेस्को की विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में दर्ज होगा सलखन फॉसिल्स पार्क

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह

लखनऊ, 19 जून (Udaipur Kiran) । जनपद सोनभद्र स्थित सलखन जीवाष्म पार्क यूनेस्को की विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में दर्ज होगा। भूवैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों और अंतरराष्ट्रीय विरासत विशेषज्ञों के सहयोग से यूनेस्को की सूची में दर्ज कराने के लिए आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह जीवाश्म पृथ्वी पर जीवन के शुरुआती चरणों का महत्वपूर्ण प्रमाण है, जो जीवन की शुरुआत की कहानी बयां करते हैं। यूनेस्को की सूची में दर्ज होने से देश-विदेश के पर्यटक एवं भू-वैज्ञानिक देखने एवं शोध करने सोनभद्र पहुंचेगे, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को आय का साधन सृजित होगा। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

उन्होंने बताया कि बताया कि स्थानीय समुदायों को जागरूक करने, उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने और सतत संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जन अभियान भी शुरू किए जाएंगे। यूनेस्को की सम्भावित सूची में शामिल होने के बाद उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड ने सलखन फॉसिल्स पार्क को विश्व धरोहर स्थलों की स्थायी सूची में शामिल कराने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि जनपद सोनभद्र प्राकृतिक रूप से दर्शनीय एवं रमणीक स्थलों के लिए जाना जाता है। सलखन जीवाष्म पार्क पर्यटकों की भीड़ बढ़ने से उत्तर प्रदेश का नाम वैश्विक पर्यटन सूची में दर्ज हो जायेगा।

जयवीर सिंह ने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार, स्ट्रोमेटोलाइट्स प्रकार के यह जीवाश्म पार्क के करीब 1400 मिलियन वर्ष पुराना होने का अनुमान है। रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सलखन गांव के पास स्थित जीवाश्म पार्क कैमूर वन्यजीव अभयारण्य और विन्ध्य पर्वतमाला क्षेत्र में फैला है। करीब 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह स्थल अपनी पुरातन चूना पत्थर संरचनाओं और दुर्गम भौगोलिक परिक्षेत्र के लिए जाना जाता है। यहां मौजूद स्ट्रोमैटोलाइट्स (प्राचीन परतदार सूक्ष्मजीवी शैल संरचनाएं) दुनिया के सबसे पुराने और सुरक्षित जीवाश्मों में गिने जाते हैं।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि अमेरिका के एलो स्टोन पार्क को दुनिया का सबसे प्राचीन जीवाष्म पार्क माना जाता है। भू-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सलखन जीवाष्म पार्क उससे भी अधिक प्राचीन है। सलखन फॉसिल पार्क न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण भू-वैज्ञानिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित होगा।

पर्यटन निदेशक प्रखर मिश्रा ने बताया कि यह केवल जीवाश्मों की बात नहीं है, बल्कि हम उस धरोहर की बात कर रहे हैं जो हमें पृथ्वी के शुरुआती दिनों से जोड़ती है।

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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